शिक्षण अधिगम सामग्री [Teaching Learning Material - TLM]
फ़रवरी 06, 2021
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• शिक्षण अधिगम सामग्री क्या है ?
What is teaching learning material (What is TLM) ?वह सामग्री जो शिक्षा को सरल, सुगम, आकर्षक, हृदयग्राही तथा बोधगम्य बनाती हो तथा शिक्षण में मददगार सामग्री, शिक्षण अधिगम सामग्री (TLM) कहलाती है।
शिक्षण अधिगम सहायक सामग्री (Teaching Aids) सोच और खोज की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करती है। शिक्षण अधिगम सामग्री (Teaching Learning Material) की सहायता से सीखना सरल एवं सुगम हो जाता है तथा छात्र सरलता एवं सहजता से सीख लेते हैं और अध्यापक का शिक्षण भी प्रभावी हो जाता है।
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Teaching Learning Material (TLM) |
वर्तमान युग में छात्रों की रुचि और आवश्यकता के अनुसार सामाजिक, वैज्ञानिक एवं व्यावसायिक ज्ञान हेतु अधिगम निर्धारित करते समय अध्यापक छात्रों की अधिकतम ज्ञानेंद्रियों का प्रयोग करना चाहता है। इन ज्ञानेंद्रियों को प्रभावी अध्ययन हेतु प्रयुक्त करने के लिए अध्यापक विभिन्न साधनों को अपने शिक्षण में प्रयुक्त करता है। इन्हीं साधनों को शिक्षण सहायक सामग्री कहते हैं। जिनके माध्यम से शिक्षक विभिन्न तथ्यों, अवधारणाओं का ज्ञान छात्रों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत कर सकता है।
• TLM Full From -
Teaching Learning Material (Teaching Aids)• शिक्षण अधिगम सामग्री की विशेषताएं
Features of teaching learning material1. छात्रों के ध्यान को शिक्षण अधिगम की ओर आकर्षित रखता है।
2. शिक्षण में विविधता उत्पन्न करने में सहायक है।
3. अमूर्त और स्पष्ट विचारों को डायग्राम तथा चित्रों के माध्यम से स्पष्ट करने में सहायक है।
4. छात्रों को मानसिक रूप से तैयार करता है जिससे प्रदर्शित सामग्री के कौन-से शिक्षण बिंदुओं पर ध्यान देना है, यह स्पष्ट करता है।
5. समय की बचत होती है।
6. विषय की नीरसता और कठीनता समाप्त करने में सक्षम है।
7. छात्रों का पर्यावरण एवं सामाजिक वातावरण के साथ प्रत्यक्ष अंतः क्रिया का अवसर प्रदान करती है।
8. अभिवृत्ति विकास और व्यवहार परिवर्तन में सहायक।
9. भूतकाल की घटनाओं को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया जा सकता है।
10. अधिगम रुचिकर होता है।
11. अमूर्त विचारों को मूर्त रूप में प्रस्तुत करने में सहायक।
12. कठिन शिक्षण इकाइयों को आसानी से स्पष्ट किया जा सकता है।
13. प्रभावशाली एवं स्थाई अधिगम हेतु।
• शिक्षण अधिगम सामग्री के प्रकार (Types of TLM)
Types of teaching learning materialशिक्षण अधिगम सहायक सामग्री तीन प्रकार की होती है -
1. श्रव्य सहायक सामग्री - मौखिक उदाहरण, रेडियो, टेप रिकॉर्डर, ग्रामोफोन आदि।
2. दृश्य सहायक सामग्री - श्यामपट्ट, बुलेटिन बोर्ड, फ्लेनील बोर्ड, मानचित्र, ग्लोब, चित्र, रेखाचित्र, कार्टून, मॉडल, पोस्टर, सलाइड्स, फिल्म स्ट्रिप्स आदि।
3. श्रव्य दृश्य सामग्री - चलचित्र, नाटक, कठपुतली, टेलीविजन आदि।
उपर्युक्त वर्गीकरण का आधार ज्ञानेंद्रियां है।
* प्रौद्योगिकी के आधार पर - १. हार्डवेयर २. सॉफ्टवेयर
* प्रक्षेपण के आधार पर - १. प्रक्षेपित २. अप्रक्षेपित ३. प्रत्यक्ष अनुभव सामग्री या क्रियाप्रधान सामग्री।
प्रोजेक्टर और ओवर हैड प्रोजेक्टर (OHP) प्रक्षेपण सामग्री है जो दृश्य सहायक सामग्री में आता है।
* मौखिक उदाहरण (Oral example) - मौखिक उदाहरणों का प्रयोग प्रमुख रूप से सूक्ष्म भावों के शब्द चित्र खींचने के लिए किया जाता है। किसी वस्तु, स्थिति या विचार को मौखिक वार्तालाप के माध्यम से सरल स्वरूप प्रदान करने में उदाहरणों का प्रयोग जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में किया जाता है।
* ग्रामोफोन (Gramophone) - ग्रामोफोन श्रव्य साधनों का सबसे पुराना उदाहरण है। इसके माध्यम से किसी घटना, विवरण, गीत, कहानी, वार्तालाप आदि को सुना जा सकता है।
* टेप रिकॉर्डर (Tape recorder) - टेप रिकॉर्डर ग्रामोफोन का वैज्ञानिक एवं विकसित रूप है। इसके माध्यम से महत्वपूर्ण भाषण अथवा सामग्री रिकॉर्ड करके स्थाई तौर पर रखी जा सकती है और भविष्य में कभी भी सुना जा सकता है।
* रेडियो (radio) - रेडियो श्रव्य साधन और मनोरंजन उपकरण की दृष्टि से सबसे अच्छा सुलभ और सस्ता उपकरण है। ज्ञानवाणी नाम से रेडियो कार्यक्रम इग्नू के द्वारा संचालित किया जा रहा है जिसके माध्यम से छात्र घर बैठे शिक्षण कर सकते हैं।
* श्यामपट्ट (Blackboard) - इसे अध्यापक का विश्वसनीय मित्र भी कहा जाता है। यद्यपि यह स्वयं कोई दृश्य सामग्री नहीं है तथापि इसका उपयोग एक अच्छी दृश्य सामग्री के रूप में किया जा सकता है। श्यामपट्ट कार्य की सफलता अध्यापक पर निर्भर करती है। श्यामपट्ट का प्रयोग रेखाचित्र, मानचित्र, पाठ सार, ग्रह कार्य देने के लिए किया जा सकता है।
* प्रतिरूप (Model) - पर्यावरण अध्ययन शिक्षण में प्रतिरूप का बहुत बड़ा महत्व है। प्रतिरूप को कक्षा में प्रदर्शित करने से छात्रों को वास्तविक वस्तु का ज्ञान होता है। जो वस्तु आकार की दृष्टि से बहुत बड़ी हो, उनको कक्षा कक्ष में लाना संभव नहीं है। अतः उस वस्तु का प्रतिरूप जो छोटे आकार का होता है आसानी से कक्षा कक्ष में प्रस्तुत किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए भूगोल शिक्षण में ज्वालामुखी पर्वत के बारे में बताना हो तो ज्वालामुखी पर्वत को उठाकर कक्षा कक्ष में लाना संभव नहीं है अतः ज्वालामुखी के प्रतिरूप को छात्रों को दिखाया जा सकता है।
* फ्लैनल बोर्ड (Flannel board) - प्लाईवुड अथवा भारी कार्ड बोर्ड पर चिपकाया हुआ खादी का कपड़ा होता है जो कि एक समतल धरातल पर चिपकाया जाता है। कार्ड बोर्ड के छोटे-छोटे टुकड़ों पर तैयार चित्रों को फ्लैनल बोर्ड पर चिपकाया जाता है।
* रेखाचित्र (Sketch) - रेखा चित्र विभिन्न विषयों के शिक्षण में बड़ी प्रभावी सहायक सामग्री है। इसमें रेखाओं तथा प्रतिकों के द्वारा अंतः संबंध स्पष्ट किए जाते हैं।
* बुलेटिन बोर्ड (Bulletin board) - इसे सूचनापट्ट भी कहा जाता है। यह प्लाईवुड या मजबूत गत्ते का बना होता है। इस पर प्रदर्शन साम्रगी को लगाने के लिए ड्राइंग पिन का प्रयोग किया जाता है।
बुलेटिन बोर्ड का प्रयोग प्रतिभाशाली छात्रों की स्वनिर्मित रचनाएं, देश-विदेश की घटनाएं एवं समाचार प्रतिदिन लिखकर किया जा सकता है। इससे विषय वस्तु से संबंध किसी चित्र अथवा परिस्थिति का रेखाओं के माध्यम से सांकेतिक प्रदर्शन होता है।
* मानचित्र (Map) - मानचित्र छोटे पैमाने से प्रदर्शित सम धरातल पर दिखाए जाने वाला पृथ्वी का चित्र होता है। यह भूगोल शिक्षण में बहुत ही प्रभावशाली साम्रगी है। मानचित्रों के समूह को एटलस का जाता है। इसके द्वारा छात्रों के सम्मुख अमूर्त वस्तुओं का ज्ञान मूर्त कर दिया जाता है। मानचित्र में अत्यधिक तथ्य नहीं होने चाहिए। संकेत स्पष्ट तथा पैमाना निश्चित होना चाहिए।
मानचित्र का उपयोग उचित समय पर करना चाहिए तथा अवसर समाप्त होने पर उसे हटा देना चाहिए।
* चित्र (Image) - चित्र बालकों की जिज्ञासा वृद्धि एवं कल्पना शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है। चित्र सरल, सही और सत्य रूप में प्रदर्शित होना चाहिए। चित्र का आकार कक्षा के आकार के अनुकूल तथा उसमें शीर्षक दिया हुआ होना चाहिए।
* ग्लोब (Glob) - ग्लोब गोल आकृति पर त्रिपक्षीय चित्र है। ग्लोब पृथ्वी के धरातल का शुद्धतम रूप से प्रतिनिधित्व करता है। इसका प्रयोग उस समय करना चाहिए जब स्थान, आकार, दूरी, दिशा तथा भूमि की बनावट एवं सागर आदि की सापेक्षिक समस्याओं का प्रतिनिधित्व कराना हो। ग्लोब के द्वारा भूगोल शिक्षण में निम्न प्रकरण पढ़ाए जा सकते हैं - पृथ्वी की आकृति, उत्तरी दक्षिणी गोलार्ध, अक्षांश - देशांतर रेखाएं, पृथ्वी की गति आदि।
* चार्ट (Chart) - चार्ट किसी घटना का क्रमिक विकास दिखाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। चार्ट में जलवायु तथा तापमान आदि का प्रदर्शन भी सरलता से किया जा सकता है। चार्ट के द्वारा किसी वस्तु का अंतर्संबंध तथा संगठन, भावों, विचारों तथा विशेष स्थलों को दृश्य रुप से प्रदर्शित किया जाता है।
* पोस्टर एवं कार्टून पोस्टर (Posters & Cartoon Posters) - यह सहायक सामग्री किसी सूचनात्मक ज्ञान एवं व्यंग्यात्मक अभिव्यक्ति को स्पष्ट करने का सरल माध्यम है। भारत की विविधता में एकता को भारत में बसने वाले लोगों को एक पोस्टर में अपनी अपनी वेशभूषा में प्रस्तुत करके दर्शाया जा सकता है। बच्चों को अच्छी आदतों, स्वच्छता, परिवार नियोजन, जल संरक्षण, दहेज प्रथा, पर्दा प्रथा, धूम्रपान, वनों की सुरक्षा, आदि को पोस्टरों एवं कार्टूनों के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है।
पोस्टर का प्रयोग करने से पूर्व उनके आकार, प्रकार, रंग, उपयुक्तता का पूरा ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि त्रुटिपूर्ण पोस्टर एवं कार्टून से गलत धारणा बन जाती है।
* स्लाइड, फिल्म स्ट्रिप्स (Slides, film strips) - स्लाइड तथा फिल्म स्ट्रिप्स की सहायता से बालक प्रत्येक चीज को बड़े आकार में पर्दे पर देखते हैं। यांत्रिक उपकरण के माध्यम से एक एक परिस्थिति को जिन चित्रों के सहारे प्रदर्शित किया जाता है वह स्लाइड्स होती है। स्लाइड्स छोटे आकार की फोटो नेगेटिव रील तथा कांच पर कैमरे द्वारा उतारे गए चित्र होते हैं, जिन्हें फिल्म स्ट्रीप प्रोजेक्ट द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
* ग्राफ (Graph) - संख्यात्मक आंकड़ों को प्रस्तुत करने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है। ग्राफ के द्वारा आंकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन भी किया जा सकता है। जैसे वर्ष में गेहूं का उत्पादन दर्शाना हो तो इन्हें ग्राफ के द्वारा प्रदर्शित करके तुलना की जा सकती है कि किस वर्ष में गेहूं का उत्पादन सबसे ज्यादा हुआ तथा किस वर्ष में सबसे कम हुआ।
* नाटक (drama) - किसी भी विषय को रंगमंच पर नाटक के माध्यम से संजीव बनाया जा सकता है। इसके द्वारा संवाद बोलने एवं रंगमंच पर अभिनय करने की कला में दक्षता आती है। नाटक के माध्यम से भगवान राम का आदर्श चरित्र, पन्ना धाय का त्याग, सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र आदि प्रकरण पढ़ाए जा सकते हैं।
* चलचित्र (Movies) - चलचित्र में छात्र व्यक्तियों को वास्तविक परिस्थितियों में कार्य करते हुए देखता है। चलचित्र छात्रों की सभी ज्ञान इंद्रियों को प्रभावित करते हैं। शिक्षाप्रद चलचित्रों को छात्रों को देखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
* दूरदर्शन (television) - टेलीविजन जनसंपर्क का अत्यंत प्रभावशाली माध्यम है। जिसके द्वारा समाचार पत्रों, रेडियो, सिनेमा आदि सभी की एक साथ पूर्ति हो सकती है। सरकार इसके माध्यम से नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षिक आदि पक्षों की जानकारी देती है।
ज्ञानदर्शन नामक शैक्षिक दूरदर्शन चैनल इग्नू के द्वारा संचालित किया जा रहा है। जिसके माध्यम से छात्र घर बैठे शिक्षण का कार्य कक्षा कक्ष जैसा कर सकते हैं।
* कठपुतली (Puppet) - निर्जीव कठपुतलियों के माध्यम से पर्यावरणीय अध्ययन शिक्षण कि अधिकांश विषय वस्तु का अध्यापन नाटकीय विधि से बड़े प्रभावशाली ढंग से किया जाता है।
1. शिक्षण को प्रभावशाली और रौचक बनाने के लिए।
2. कठीन विषय वस्तु को सरलतम तरीके से समझाने के लिए।
3. छात्रों में विकर्षण के प्रति रुचि जागृत करने के लिए।
4. स्थाई अधिगम ग्रहण करने के लिए।
5. कक्षा कक्ष का वातावरण सरस करने के लिए।
6. शिक्षण में समय की बचत के लिए।
7. अमूर्त विचारों को मूर्त रूप में प्रस्तुत करने के लिए।
8. छात्रों का ध्यान शिक्षण की और आकर्षित करने के लिए।
प्राथमिक कक्षाओं के लिए शिक्षण अधिगम सामग्री (Teaching Aids) चित्रात्मक (Graphical) होनी चाहिए।
1. भीति चित्र (Wall painting) - छोटे बच्चे चित्र देखना ज्यादा पसंद करते हैं। प्राथमिक कक्षा कक्ष की दीवारों पर शिक्षण संबंधित चित्रों को उकेरा जाना चाहिए। जैसे चित्रमय हिंदी एवं अंग्रेजी वर्णमाला, चित्रों सहित विभिन्न फलों एवं सब्जियों के नाम, रंगों के नाम, संख्या ज्ञान की टेबल आदि।
2. खिलौनें (Toys) - बच्चों के खेलने के लिए खिलौने पर संख्या ज्ञान, वर्णमाला ज्ञान आदि अंकित होने चाहिए। इससे बच्चों को खेल-खेल में आंनद के साथ सिखाया जा सकता है।
3. टेलिविजन (Television) - टेलीविजन के माध्यम से प्राथमिक कक्षाओं में शिक्षण को सरस एवं सरल बनाया जा सकता है।
4. Work book (अभ्यास पुस्तिका) - इससे बच्चों में अभ्यास कौशल को विकसित किया जा सकता है। वर्कबुक का उद्देश्य बच्चों में भाषा पढ़ने, लिखने, बोलने और समझने के साथ-साथ रचनात्मक अभिव्यक्ति के लिए भी प्रेरित करना है। भाषा ज्ञान के लिए शिक्षण गतिविधियों को सरल, उपयोगी और रोचक बनाना तथा बच्चो में स्वयं अध्ययन करने की रूचि विकसित करना है।
अभ्यास पुस्तिकाओं के माध्यम से भाषा के उच्चतर कौशलों, चिंतन शक्ति का विकास, सृजनात्मक अभिव्यक्ति का विकास, भाषा एवं व्याकरण का क्रमबद्ध ज्ञान और आकर्षक चित्रों के द्वारा बौद्धिक विकास किया जा सकता है।
5. चित्रमय पुस्तकें (Graphical books) - बौद्धिक क्षमता के विकास के लिए।
6. संख्या चार्ट (Number chart) - संख्या ज्ञान के लिए।
7. सांप सिढ़ी का खेल (Snake stair game) - इस खेल के द्वारा बच्चों को संख्या ज्ञान करवाया जा सकता है।
8. विभिन्न प्रकार के कागज के फूल, पोस्टर, गत्ते पर बने चित्र, स्लाइड, TLM Chart आदि।
1. श्रव्य सहायक सामग्री (Audio aids) -
श्रव्य सहायक सामग्री में छात्र अपनी श्रव्य इंद्रियों के द्वारा सुनकर ज्ञान ग्रहण करता है।* मौखिक उदाहरण (Oral example) - मौखिक उदाहरणों का प्रयोग प्रमुख रूप से सूक्ष्म भावों के शब्द चित्र खींचने के लिए किया जाता है। किसी वस्तु, स्थिति या विचार को मौखिक वार्तालाप के माध्यम से सरल स्वरूप प्रदान करने में उदाहरणों का प्रयोग जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में किया जाता है।
* ग्रामोफोन (Gramophone) - ग्रामोफोन श्रव्य साधनों का सबसे पुराना उदाहरण है। इसके माध्यम से किसी घटना, विवरण, गीत, कहानी, वार्तालाप आदि को सुना जा सकता है।
* टेप रिकॉर्डर (Tape recorder) - टेप रिकॉर्डर ग्रामोफोन का वैज्ञानिक एवं विकसित रूप है। इसके माध्यम से महत्वपूर्ण भाषण अथवा सामग्री रिकॉर्ड करके स्थाई तौर पर रखी जा सकती है और भविष्य में कभी भी सुना जा सकता है।
* रेडियो (radio) - रेडियो श्रव्य साधन और मनोरंजन उपकरण की दृष्टि से सबसे अच्छा सुलभ और सस्ता उपकरण है। ज्ञानवाणी नाम से रेडियो कार्यक्रम इग्नू के द्वारा संचालित किया जा रहा है जिसके माध्यम से छात्र घर बैठे शिक्षण कर सकते हैं।
2. दृश्य सहायक सामग्री (Visual aids) -
दृश्य सहायक सामग्री के द्वारा छात्र अपनी दृश्य इंद्रियों के द्वारा देखकर ज्ञान अर्जित करता है।* श्यामपट्ट (Blackboard) - इसे अध्यापक का विश्वसनीय मित्र भी कहा जाता है। यद्यपि यह स्वयं कोई दृश्य सामग्री नहीं है तथापि इसका उपयोग एक अच्छी दृश्य सामग्री के रूप में किया जा सकता है। श्यामपट्ट कार्य की सफलता अध्यापक पर निर्भर करती है। श्यामपट्ट का प्रयोग रेखाचित्र, मानचित्र, पाठ सार, ग्रह कार्य देने के लिए किया जा सकता है।
* प्रतिरूप (Model) - पर्यावरण अध्ययन शिक्षण में प्रतिरूप का बहुत बड़ा महत्व है। प्रतिरूप को कक्षा में प्रदर्शित करने से छात्रों को वास्तविक वस्तु का ज्ञान होता है। जो वस्तु आकार की दृष्टि से बहुत बड़ी हो, उनको कक्षा कक्ष में लाना संभव नहीं है। अतः उस वस्तु का प्रतिरूप जो छोटे आकार का होता है आसानी से कक्षा कक्ष में प्रस्तुत किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए भूगोल शिक्षण में ज्वालामुखी पर्वत के बारे में बताना हो तो ज्वालामुखी पर्वत को उठाकर कक्षा कक्ष में लाना संभव नहीं है अतः ज्वालामुखी के प्रतिरूप को छात्रों को दिखाया जा सकता है।
* फ्लैनल बोर्ड (Flannel board) - प्लाईवुड अथवा भारी कार्ड बोर्ड पर चिपकाया हुआ खादी का कपड़ा होता है जो कि एक समतल धरातल पर चिपकाया जाता है। कार्ड बोर्ड के छोटे-छोटे टुकड़ों पर तैयार चित्रों को फ्लैनल बोर्ड पर चिपकाया जाता है।
* रेखाचित्र (Sketch) - रेखा चित्र विभिन्न विषयों के शिक्षण में बड़ी प्रभावी सहायक सामग्री है। इसमें रेखाओं तथा प्रतिकों के द्वारा अंतः संबंध स्पष्ट किए जाते हैं।
* बुलेटिन बोर्ड (Bulletin board) - इसे सूचनापट्ट भी कहा जाता है। यह प्लाईवुड या मजबूत गत्ते का बना होता है। इस पर प्रदर्शन साम्रगी को लगाने के लिए ड्राइंग पिन का प्रयोग किया जाता है।
बुलेटिन बोर्ड का प्रयोग प्रतिभाशाली छात्रों की स्वनिर्मित रचनाएं, देश-विदेश की घटनाएं एवं समाचार प्रतिदिन लिखकर किया जा सकता है। इससे विषय वस्तु से संबंध किसी चित्र अथवा परिस्थिति का रेखाओं के माध्यम से सांकेतिक प्रदर्शन होता है।
* मानचित्र (Map) - मानचित्र छोटे पैमाने से प्रदर्शित सम धरातल पर दिखाए जाने वाला पृथ्वी का चित्र होता है। यह भूगोल शिक्षण में बहुत ही प्रभावशाली साम्रगी है। मानचित्रों के समूह को एटलस का जाता है। इसके द्वारा छात्रों के सम्मुख अमूर्त वस्तुओं का ज्ञान मूर्त कर दिया जाता है। मानचित्र में अत्यधिक तथ्य नहीं होने चाहिए। संकेत स्पष्ट तथा पैमाना निश्चित होना चाहिए।
मानचित्र का उपयोग उचित समय पर करना चाहिए तथा अवसर समाप्त होने पर उसे हटा देना चाहिए।
* चित्र (Image) - चित्र बालकों की जिज्ञासा वृद्धि एवं कल्पना शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है। चित्र सरल, सही और सत्य रूप में प्रदर्शित होना चाहिए। चित्र का आकार कक्षा के आकार के अनुकूल तथा उसमें शीर्षक दिया हुआ होना चाहिए।
* ग्लोब (Glob) - ग्लोब गोल आकृति पर त्रिपक्षीय चित्र है। ग्लोब पृथ्वी के धरातल का शुद्धतम रूप से प्रतिनिधित्व करता है। इसका प्रयोग उस समय करना चाहिए जब स्थान, आकार, दूरी, दिशा तथा भूमि की बनावट एवं सागर आदि की सापेक्षिक समस्याओं का प्रतिनिधित्व कराना हो। ग्लोब के द्वारा भूगोल शिक्षण में निम्न प्रकरण पढ़ाए जा सकते हैं - पृथ्वी की आकृति, उत्तरी दक्षिणी गोलार्ध, अक्षांश - देशांतर रेखाएं, पृथ्वी की गति आदि।
* चार्ट (Chart) - चार्ट किसी घटना का क्रमिक विकास दिखाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। चार्ट में जलवायु तथा तापमान आदि का प्रदर्शन भी सरलता से किया जा सकता है। चार्ट के द्वारा किसी वस्तु का अंतर्संबंध तथा संगठन, भावों, विचारों तथा विशेष स्थलों को दृश्य रुप से प्रदर्शित किया जाता है।
* पोस्टर एवं कार्टून पोस्टर (Posters & Cartoon Posters) - यह सहायक सामग्री किसी सूचनात्मक ज्ञान एवं व्यंग्यात्मक अभिव्यक्ति को स्पष्ट करने का सरल माध्यम है। भारत की विविधता में एकता को भारत में बसने वाले लोगों को एक पोस्टर में अपनी अपनी वेशभूषा में प्रस्तुत करके दर्शाया जा सकता है। बच्चों को अच्छी आदतों, स्वच्छता, परिवार नियोजन, जल संरक्षण, दहेज प्रथा, पर्दा प्रथा, धूम्रपान, वनों की सुरक्षा, आदि को पोस्टरों एवं कार्टूनों के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है।
पोस्टर का प्रयोग करने से पूर्व उनके आकार, प्रकार, रंग, उपयुक्तता का पूरा ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि त्रुटिपूर्ण पोस्टर एवं कार्टून से गलत धारणा बन जाती है।
* स्लाइड, फिल्म स्ट्रिप्स (Slides, film strips) - स्लाइड तथा फिल्म स्ट्रिप्स की सहायता से बालक प्रत्येक चीज को बड़े आकार में पर्दे पर देखते हैं। यांत्रिक उपकरण के माध्यम से एक एक परिस्थिति को जिन चित्रों के सहारे प्रदर्शित किया जाता है वह स्लाइड्स होती है। स्लाइड्स छोटे आकार की फोटो नेगेटिव रील तथा कांच पर कैमरे द्वारा उतारे गए चित्र होते हैं, जिन्हें फिल्म स्ट्रीप प्रोजेक्ट द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
* ग्राफ (Graph) - संख्यात्मक आंकड़ों को प्रस्तुत करने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है। ग्राफ के द्वारा आंकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन भी किया जा सकता है। जैसे वर्ष में गेहूं का उत्पादन दर्शाना हो तो इन्हें ग्राफ के द्वारा प्रदर्शित करके तुलना की जा सकती है कि किस वर्ष में गेहूं का उत्पादन सबसे ज्यादा हुआ तथा किस वर्ष में सबसे कम हुआ।
3. श्रव्य-दृश्य सामग्री (Audio-visual material) -
श्रव्य दृश्य सामग्री में छात्र अपने श्रव्य एवं दृश्य इंद्रियों दोनों के द्वारा देखकर तथा सुनकर ज्ञान ग्रहण करता है। इस सहायक सामग्री के द्वारा प्राप्त ज्ञान अधिक स्थाई होता है।* नाटक (drama) - किसी भी विषय को रंगमंच पर नाटक के माध्यम से संजीव बनाया जा सकता है। इसके द्वारा संवाद बोलने एवं रंगमंच पर अभिनय करने की कला में दक्षता आती है। नाटक के माध्यम से भगवान राम का आदर्श चरित्र, पन्ना धाय का त्याग, सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र आदि प्रकरण पढ़ाए जा सकते हैं।
* चलचित्र (Movies) - चलचित्र में छात्र व्यक्तियों को वास्तविक परिस्थितियों में कार्य करते हुए देखता है। चलचित्र छात्रों की सभी ज्ञान इंद्रियों को प्रभावित करते हैं। शिक्षाप्रद चलचित्रों को छात्रों को देखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
* दूरदर्शन (television) - टेलीविजन जनसंपर्क का अत्यंत प्रभावशाली माध्यम है। जिसके द्वारा समाचार पत्रों, रेडियो, सिनेमा आदि सभी की एक साथ पूर्ति हो सकती है। सरकार इसके माध्यम से नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षिक आदि पक्षों की जानकारी देती है।
ज्ञानदर्शन नामक शैक्षिक दूरदर्शन चैनल इग्नू के द्वारा संचालित किया जा रहा है। जिसके माध्यम से छात्र घर बैठे शिक्षण का कार्य कक्षा कक्ष जैसा कर सकते हैं।
* कठपुतली (Puppet) - निर्जीव कठपुतलियों के माध्यम से पर्यावरणीय अध्ययन शिक्षण कि अधिकांश विषय वस्तु का अध्यापन नाटकीय विधि से बड़े प्रभावशाली ढंग से किया जाता है।
• शिक्षण अधिगम सामग्री की सूची
List of learning materials![]() |
Teaching Learning Material List (TLM List) |
• शिक्षण अधिगम सामग्री की आवश्यकता
Need of Teaching learning material1. शिक्षण को प्रभावशाली और रौचक बनाने के लिए।
2. कठीन विषय वस्तु को सरलतम तरीके से समझाने के लिए।
3. छात्रों में विकर्षण के प्रति रुचि जागृत करने के लिए।
4. स्थाई अधिगम ग्रहण करने के लिए।
5. कक्षा कक्ष का वातावरण सरस करने के लिए।
6. शिक्षण में समय की बचत के लिए।
7. अमूर्त विचारों को मूर्त रूप में प्रस्तुत करने के लिए।
8. छात्रों का ध्यान शिक्षण की और आकर्षित करने के लिए।
• प्राथमिक कक्षाओं के लिए शिक्षण अधिगम सामग्री
Teaching Learning Material For Primary Classes in hindiप्राथमिक कक्षाओं के लिए शिक्षण अधिगम सामग्री (Teaching Aids) चित्रात्मक (Graphical) होनी चाहिए।
1. भीति चित्र (Wall painting) - छोटे बच्चे चित्र देखना ज्यादा पसंद करते हैं। प्राथमिक कक्षा कक्ष की दीवारों पर शिक्षण संबंधित चित्रों को उकेरा जाना चाहिए। जैसे चित्रमय हिंदी एवं अंग्रेजी वर्णमाला, चित्रों सहित विभिन्न फलों एवं सब्जियों के नाम, रंगों के नाम, संख्या ज्ञान की टेबल आदि।
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Teaching Learning Material For Primary Classes |
3. टेलिविजन (Television) - टेलीविजन के माध्यम से प्राथमिक कक्षाओं में शिक्षण को सरस एवं सरल बनाया जा सकता है।
4. Work book (अभ्यास पुस्तिका) - इससे बच्चों में अभ्यास कौशल को विकसित किया जा सकता है। वर्कबुक का उद्देश्य बच्चों में भाषा पढ़ने, लिखने, बोलने और समझने के साथ-साथ रचनात्मक अभिव्यक्ति के लिए भी प्रेरित करना है। भाषा ज्ञान के लिए शिक्षण गतिविधियों को सरल, उपयोगी और रोचक बनाना तथा बच्चो में स्वयं अध्ययन करने की रूचि विकसित करना है।
अभ्यास पुस्तिकाओं के माध्यम से भाषा के उच्चतर कौशलों, चिंतन शक्ति का विकास, सृजनात्मक अभिव्यक्ति का विकास, भाषा एवं व्याकरण का क्रमबद्ध ज्ञान और आकर्षक चित्रों के द्वारा बौद्धिक विकास किया जा सकता है।
5. चित्रमय पुस्तकें (Graphical books) - बौद्धिक क्षमता के विकास के लिए।
6. संख्या चार्ट (Number chart) - संख्या ज्ञान के लिए।
7. सांप सिढ़ी का खेल (Snake stair game) - इस खेल के द्वारा बच्चों को संख्या ज्ञान करवाया जा सकता है।
8. विभिन्न प्रकार के कागज के फूल, पोस्टर, गत्ते पर बने चित्र, स्लाइड, TLM Chart आदि।