शिक्षण प्रतिमानों (Teaching Model) का वर्गीकरण

इस आर्टिकल में शिक्षण प्रतिमान क्या है, शिक्षण प्रतिमान की विशेषताएं, शिक्षण प्रतिमान के तत्व, शिक्षण प्रतिमानों का वर्गीकरण, शिक्षण प्रतिमानों की उपयोगिता आदि टॉपिक पर चर्चा की गई है।

शिक्षण प्रतिमान क्या है

What is The Teaching Model : शिक्षण प्रतिमान शिक्षण सिद्धांत का आदि रूप माने जाते हैं। शिक्षण प्रतिमान शिक्षण सिद्धांतों के प्रतिपादन हेतु परिकल्पनाओं का कार्य करते हैं। शिक्षण प्रतिमान के प्रयोग से शिक्षण प्रभावी और रुचिकर हो जाता है, क्योंकि इनका विकास अधिगम सिद्धांतों के आधार पर किया जाता है।

प्रत्येक शिक्षण प्रतिमान में इस प्रकार की परिस्थितियां उत्पन्न की जाती है जिनमें शिक्षक और छात्र में प्रभावी अंतः क्रिया हो सके तथा छात्रों के व्यवहारगत परिवर्तन द्वारा उद्देश्य को प्राप्त किया जा सके। शिक्षण प्रतिमान में शिक्षण के लक्ष्य, शिक्षण तथा अधिगम की विभिन्न क्रियाओं के पारस्परिक संबंध की व्याख्या की जाती है।

शिक्षण प्रतिमान की विशेषताएं

  • प्रत्येक शिक्षण प्रतिमान किसी न किसी सत्यापित सिद्धांत पर आधारित होता है। अतः इनकी प्रकृति वैज्ञानिक होती है।
  • प्रत्येक शिक्षण प्रतिमान में क्रमबद सोपान होते हैं जिन्हें हूबहू दोहराया जा सकता है।
  • प्रत्येक शिक्षण प्रतिमान के स्पष्ट रूप से परिभाषित शिक्षण प्रभाव होते हैं।
  • प्रत्येक शिक्षण प्रतिमान में शिक्षण और छात्रों के कार्य एवं उत्तरदायित्व को निर्धारित किया जाता है।
  • शिक्षण प्रतिमान छात्र केंद्रित होते हैं।
  • शिक्षण प्रतिमान के प्रयोग के लिए कुछ आवश्यक सहायक सामग्री की आवश्यकता होती है।
  • शिक्षण प्रतिमान अध्यापक और छात्र के व्यवहारों से संबंधित प्रत्येक मूलभूत प्रश्नों का उत्तर देता है, जैसे अध्यापक को कैसे व्यवहार करना चाहिए ? उसके इस व्यवहार का छात्रों पर क्या प्रभाव पड़ेगा आदि।
  • शिक्षण प्रतिमान छात्रों की व्यक्तिगत विभिन्नता के अनुसार निर्मित किए गए हैं।
  • प्रत्येक शिक्षण प्रतिमान द्वारा विशिष्ट उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए विशेष प्रकार का वातावरण निर्मित किया जाता है और अध्यापक छात्र की अंतः क्रिया का निर्धारण किया जाता है।
  • शिक्षण प्रतिमान शिक्षक की शिक्षण दक्षता में वृद्धि करता है।
  • प्रत्येक शिक्षण प्रतिमान की विशिष्ट मूल्यांकन प्रणाली होती है।

शिक्षण प्रतिमान के तत्व

  • उद्देश्य
  • संरचना
  • सामाजिक प्रणाली
  • सिद्धांत जांच
  • सहायक तंत्र।

शिक्षण प्रतिमानों का वर्गीकरण

(1) दार्शनिक शिक्षक प्रतिमान

शिक्षण की प्रकृति एवं विशेषताओं के आधार पर इजराइल सेफलर ने दार्शनिक शिक्षण प्रतिमान के अंतर्गत तीन प्रतिमान का वर्णन किया है। उनकी धारणा है कि शिक्षण में ज्ञानात्मक, मनोवैज्ञानिक तथा सार्वभौमिक तत्व शामिल होते हैं।

  1. प्रभाव प्रतिमान (impression model)
  2. सूझ प्रतिमान (insight model)
  3. नियम प्रतिमान (rule model)

(2) मनोवैज्ञानिक शिक्षण प्रतिमान

जॉन. पी. डिसिको (John. P. Dececco) ने चार मनोवैज्ञानिक शिक्षण प्रतिमान दिए।

  1. बुनियादी शिक्षण प्रतिमान
  2. अंत: क्रिया शिक्षण प्रतिमान
  3. कंप्यूटर आधारित शिक्षण प्रतिमान
  4. विद्यालय अधिगम शिक्षण प्रतिमान।

(3) अध्यापक शिक्षा शिक्षण प्रतिमान

ई. ई. हेडन ने 4 अध्यापक शिक्षा शिक्षण प्रतिमान और की चर्चा की जो शिक्षक शिक्षा की समस्याओं का समाधान करने में सहायक होते हैं।

  1. टाबा शिक्षण प्रतिमान
  2. टर्नर का शिक्षण प्रतिमान
  3. शिक्षक अभिविन्यास शिक्षण प्रतिमान
  4. फॉक्स लिपिट शिक्षण प्रतिमान।

4. आधुनिक शिक्षण प्रतिमान (Modern Teaching Model)

शिक्षण प्रतिमान द्वारा प्राप्त किए जाने वाले शिक्षण उद्देश्यों को ध्यान में रखकर ज्वाइस और वेल ने अपनी पुस्तक मॉडल ऑफ टीचिंग (Model of Teaching) में शिक्षण प्रतिमानों को आधुनिक शिक्षण प्रतिमान शीर्षक के अंतर्गत 4 समूह में वर्गीकृत किया है। प्रत्येक समूह में उद्देश्यों की समानता के आधार पर प्रतिमानों को स्थान दिया गया है।

(1) सूचना प्रक्रम प्रतिमान (Information Processing Model) : व्यक्ति अपने वातावरण में विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त सूचनाएं ग्रहण करके अपने मस्तिष्क में संगठित करता है, फिर इन सूचनाओं का मस्तिष्क में विश्लेषण होता है और विश्लेषण के समय जिन योग्यता की जरूरत होती है उन्हें संज्ञानात्मक प्रक्रिया कहते हैं। इन योग्यता के कारण ही बालक सूचनाओं से दूर जाकर अमूर्त और उपयोगी ज्ञान का सर्जन कर पाता है। यही प्रक्रिया सूचना प्रक्रम कहलाती है।

इस समूह में आने वाले प्रतिमान निम्न प्रकार है –

(१) संकल्पना प्राप्ति प्रतिमान (Concept Attainment)

प्रवर्तक – जे ब्रूनर

उद्देश्य – १. आगमन तर्क २. संकल्पना प्राप्ति ३.  विश्लेषण क्षमता का विकास।

(२) खोज प्रशिक्षण प्रतिमान (Inquiry Training Model)

प्रवर्तक – रिचर्ड सचमैन

उद्देश्य – १. खोज प्रक्रिया का प्रशिक्षण २. सिद्धांत निर्माण करने की क्षमता का विकास करना। खोज प्रशिक्षण या पृच्छा प्रशिक्षण के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें – खोज प्रशिक्षण प्रतिमान

(३) आगमन चिंतन प्रतिमान

प्रवर्तक – हिल्दा टाबा

उद्देश्य – १. आगमन तर्क एवं शैक्षिक तर्क का विकास करना।

(४) वैज्ञानिक खोज प्रतिमान (Scientific Inquiry Model)

प्रवर्तक – जोसेफ जे स्कवाब

उद्देश्य – १. शोध पद्धतियों का शिक्षण २. सामाजिक समझ तथा सामाजिक समस्या के समाधान के लिए ३.  समाज विज्ञान संबंधी विधियों के शिक्षण के लिए।

(५) ज्ञानात्मक वृद्धि प्रतिमान

प्रवर्तक – जीन पियाजे, इरविंग सिंगेल

उदेश्य – १. सामान्य मानसिक विकास २. तार्किक चिंतन ३. सामाजिक एवं नैतिक विकास करना।

(६) अग्रवर्ती संगठन प्रवर्तक (Advance Organization Model)

प्रवर्तक – डेविड जे. आसुबेल

उदेश्य – ज्ञान प्राप्त करना और संगठित करना तथा सूचना प्रक्रम की क्षमता विकसित करना।

(७) स्मृति प्रतिमान

प्रवर्तक –  हैरीलोरेन, जैरी लुकासी

उद्देश्य – स्मरण करने की क्षमता विकसित करना।

(2) सामाजिक अंत: क्रिया प्रतिमान (Social Interaction Model)

सामाजिक अंतः क्रिया प्रतिमान के अंतर्गत विद्यार्थियों को दूसरे विद्यार्थियों से अंतः क्रिया करने का अवसर दिया जाता है जिससे उनमें सामाजिक कौशलों का विकास होता है। ये सामाजिक कौशल व्यक्ति को सामाजिक सामंजस्य स्थापित करने में मदद करते हैं। इस समूह में निमल प्रतिमान आते हैं :

  • समूह अन्वेषण – प्रवर्तक – हरबर्ट थीलेन, जॉन डीवी।
  • प्रयोगशाला विधि – प्रवर्तक – नेशनल ट्रेनिंग लेबोरेटरी, बीथेल मैंन।
  • सामाजिक खोज (Social Inquiry) – प्रवर्तक – बाइरोन मैसिएलस, बेन्जामिन काक्स।
  • भूमिका निर्वाह – प्रवर्तक – फैनी शाफ्टेल, जार्ज शाफ्टेल।
  • सामाजिक संरचना – प्रवर्तक – सोरोन बूकोक, हैरोल्ड गेज कोव।
  • जूरिस प्रूडेन्शियल खोज – प्रवर्तक – डोनाल्ड ओलिवर, जेम्स पी. शेवर

3. वैयक्तिक प्रतिमान (Personal Model)

वैयक्तिक प्रतिमानों का उद्देश्य व्यक्ति को उसकी क्षमताओं के अनुसार स्वयं का विकास करने में मदद करना है। इस प्रतिमान के द्वारा व्यक्ति के संवेगात्मक पक्ष पर अधिक बल दिया जाता है जिसके परिणाम स्वरुप व्यक्ति में अपने वातावरण के साथ उचित संबंध स्थापित करने की योग्यता विकसित की जा सकती है।

इसके साथ साथ व्यक्ति अन्य व्यक्तियों के साथ उचित संबंध स्थापित करने एवं सूचना प्रक्रम की प्रक्रिया में सक्षम हो जाता है। इस समूह में निम्न प्रतिमान आते हैं :

  • चेतना प्रशिक्षण – प्रवर्तक – फ्रिट्ज पेरिस, विलियम स्कूट्ज।
  • अनिर्देशात्मक शिक्षण – प्रवर्तक – कार्ल रोजर्स
  • साइनेटिक्स – प्रवर्तक – विलियम जॉर्डन
  • कक्षीय गोष्ठी – प्रवर्तक – विलियम ग्लैसर
  • संकल्पनात्मक पद्धति – प्रवर्तक – डेविड हंट

4. व्यवहारिक प्रतिमान (Behavioural Model)

इस समूह में आने वाले सभी प्रतिमानों का मुख्य उद्देश्य अधिगमकर्ता के दृश्य व्यवहारों में परिवर्तन लाना है न की अंतर्निहित मनोवैज्ञानिक संरचनाओं एवं व्यवहारों में। ये प्रतिमान उद्दीपनों का नियंत्रण करके पुनर्बलकों का प्रस्तुतीकरण करते हैं।

पुनर्बलकों का प्रयोग करके वांछित व्यवहारों का प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे सामान्य व्यवहारों को विशिष्ट प्रकार के व्यवहारों में परिवर्तित किया जाता है। इस समूह में निम्न प्रतिमान आते हैं –

  • आकस्मिकता की व्यवस्था – प्रवर्तक – बी. एफ. स्किनर
  • स्वनियंत्रण – प्रवर्तक – बी. एफ. स्किनर
  • शिथिलता – प्रवर्तक – रीम एवं मास्टर्स वोल्प
  • दबाव न्यूनता – प्रवर्तक – रीम एवं मास्टर्स वोल्प
  • स्थापन प्रशिक्षण – प्रवर्तक – वोल्प, लेजारम सालटर
  • अविध्न प्रशिक्षण – प्रवर्तक – गायने, स्मिथ एवं स्मिथ

शिक्षण प्रतिमानों की उपयोगिता

  • शिक्षण प्रतिमान शिक्षण को प्रभावशाली बनाने में सहायक है।
  • शिक्षण प्रतिमान में इस प्रकार की शिक्षण नीतियों और युक्तियों का प्रयोग किया जाता है जो विद्यार्थी के व्यवहार में परिवर्तन करने में सहायक होती है।
  • शिक्षण प्रतिमान शिक्षण क्षेत्र का विशिष्टीकरण करते हैं।
  • शिक्षण प्रतिमान का प्रयोग अनुदेशन सामग्री का विकास करने के लिए किया जाता है।
  • शिक्षण प्रतिमान पाठ्यक्रम का निर्माण करने में सहायक होते हैं।
  • शिक्षण प्रतिमान का प्रयोग विद्यार्थियों के व्यवहार का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है।
  • शिक्षण प्रतिमान द्वारा अध्यापक छात्र क्रिया को प्रभावी बनाया जाता है।
  • शिक्षण प्रतिमान उन उद्दीपक स्थितियों का चयन करने में सहायक होते हैं जो विद्यार्थियों में अपेक्षित व्यवहारगत परिवर्तन उत्पन्न कर सके।

शिक्षण प्रतिमान, Teaching Model

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  1. शिक्षण प्रतिमान के कितने तत्व हैं?

    उत्तर : शिक्षण प्रतिमान के 5 तत्व हैं।
    1. उद्देश्य
    2. संरचना
    3. सामाजिक प्रणाली
    4. सिद्धांत जांच
    5. सहायक तंत्र

  2. आधुनिक शिक्षण प्रतिमान कौन कौन से हैं?

    उत्तर : 1. सूचना प्रक्रम प्रतिमान
    2. सामाजिक अंत: क्रिया प्रतिमान
    3. वैयक्तिक प्रतिमान
    4. व्यवहारिक प्रतिमान

  3. (६) अग्रवर्ती संगठन प्रवर्तक प्रतिमान के प्रवर्तक कौन है?

    उत्तर : प्रवर्तक – डेविड जे. आसुबेल।
    उदेश्य – ज्ञान प्राप्त करना और संगठित करना तथा सूचना प्रक्रम की क्षमता विकसित करना।

My name is Mahendra Kumar and I do teaching work. I am interested in studying and teaching competitive exams. My qualification is B.A., B.Ed., M.A. (Pol.Sc.), M.A. (Hindi).

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