कला समेकित शिक्षा क्या है (Art Integrated Learning)

इस आर्टिकल में कला समेकित शिक्षा (Art Integrated Learning) की अवधारणा, कला समेकित शिक्षा क्या है, कला शिक्षा और कला समेकित शिक्षा में क्या अंतर है, सीखने की प्रक्रिया को समग्र और अनुभवात्मक बनाने में कला की क्या भूमिका हो सकती है, कला एकीकरण शिक्षण सीखने के प्रतिफल को प्राप्त करने में कैसे मदद करता है, कला समेकित शिक्षा का उद्देश्य, कला शिक्षा का अन्य विषयों के साथ संबंध आदि टॉपिक पर चर्चा की गई है।

कला समेकित शिक्षा की अवधारणा

कला समेकित शिक्षा अनुभवात्मक अधिगम का एक शैक्षणिक तरीका है। कला समेकित शिक्षा की अवधारणा से तात्पर्य अन्य विषयों के साथ कला के एकीकरण करने से है।

कला का अन्य विषयों के साथ एकीकरण का तात्पर्य है कि विभिन्न प्रकार की कलाएं जैसे दृश्य कला, प्रदर्शन कला और साहित्य कला, शिक्षण अधिगम / सीखने सिखाने की प्रक्रियाओं का एक अभिन्न अंग बनकर शिक्षण को रोचक और मजेदार बनाती है।इसका मतलब पाठ्यक्रम को भी कला समेकित बनाएं जाने से भी है। जिसमें कला कक्षा कक्ष में सीखने का आधार बन जाती है।

अगर पाठ्यक्रम में कला का समावेश हो तो इससे विशेष रूप से अमूर्त अवधारणाओं को स्पष्ट करने में मदद मिलती है। कला समेकित पाठ्यक्रम में विभिन्न विषयों की विषय वस्तु को तार्किक, विद्यार्थी केंद्रित और अर्थपूर्ण तरीकों से जोड़ने के साधन प्रदान कर सकता है।

कला को केंद्र बिंदु में रखकर गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान तथा भाषाओं और उनकी अमूर्त अवधारणाओं के बीच एक संबंध स्थापित किया जा सकता है। उसे आपस में जोड़कर विषय वस्तु को प्रभावी ढंग से सीखाया जा सकता है। इस तरीके से सीखना समग्र, आनंददायक और अनुभवात्मक बन जाता है।

कला समेकित शिक्षा से सिखने सिखाने के तरीकों को सरल व प्रभावी बनाया जा सकता है। कला का सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन कौशल और उपकरणों के रूप में उपयोग कर सकते हैं।

शिक्षार्थी कई बार अपने विचारों को मौखिक रूप में बयां नहीं कर सकते। अगर उस समय उनको अपने मनोभावों को प्रकट करने के लिए कला का सहारा देकर सिखने सिखाने की प्रक्रियाओं को बेहतर बनाया जा सकता है।

नई शिक्षा नीति 2020 में इस कला समेकित शिक्षण द्वारा शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाने के लिए ध्यान दिया गया है।

कला समेकित शिक्षा क्या है?

What is Art Integrated Learning : विभिन्न पाठ्यक्रम क्षेत्रों की विषय वस्तु के सीखने सिखाने के साथ कला को जोड़ देना ही कला समेकित शिक्षा है। भाषा, सामाजिक अध्ययन, विज्ञान और गणित जैसे विषयों को कला के साथ परस्पर संबंधित करने के लिए तैयार किया जा सकता है।

कई बार कला बहुत सरलता से विज्ञान की अवधारणा को स्पष्ट कर सकती है। इस प्रकार विषयों की अमूर्त अवधारणाओं को विभिन्न कला रूपों का उपयोग करके समझने में आसान और मूर्त रूप दिया जा सकता है।

सीखने के इस तरीके से विषय के बारे में ज्ञान और समझ को बढ़ाने में मदद मिलती है और यह कला का मूल्यांकन करने को भी बढ़ावा देता है। इसे ही समग्र या संपूर्ण शिक्षण कहा जाता है।

यदि हमारे विद्यालय में सीखने सिखाने की प्रक्रिया में कला समेकित शिक्षा का समावेश हो जाए तो यह न सिर्फ बच्चों के लिए रुचिकर होगा बल्कि शिक्षक शिक्षिकाओं के लिए भी उनकी कक्षा बाल केंद्रित व आनंददायक बन जाएगी।

कला अभिव्यक्ति के लिए एक भाषा प्रदान करती है। यह अभिव्यक्ति कला के दृश्य (पेंटिंग, फोटोग्राफी, मूर्तिकला) या प्रदर्शन रूप (नृत्य, संगीत, रंगमंच, जादू का प्रर्दशन) में हो सकती है।

कला शिक्षा और कला समेकित शिक्षा में क्या अंतर है

What is the difference between art education and art integrated education : कला शिक्षा वह प्रक्रिया है जो संवेदी भावों को बढ़ावा देती है। यह उन अभिव्यक्तियों के सृजन हेतु विचारों और सामग्रियों के साथ काम करने का एक मंच प्रदान करती है जिन्हें केवल शब्दों द्वारा व्यक्त नहीं किया जा सकता।

यह गैर मौखिक अभिव्यक्ति (जिसे हम बोलकर नहीं समझा सकते) को बाहर आने के लिए प्रोत्साहित करती है। चाहे वह गीत के रूप में हो या फिर पेंटिंग या प्रदर्शन के रूप में।

कला समेकित शिक्षा में कला को पाठ्यक्रम का मुख्य हिस्सा बनाते हुए काम किया जाता हैं। विभिन्न कला रूपों का उपयोग करके विषय वस्तु की अमूर्त अवधारणाओं का पता लगाया जा सकता है।

कला समेकित कक्षाएं सीखने के ऐसे अनुभव प्रदान करती जिससे सीखने वाले का मन और शरीर उससे जुड़ जाता है। इस तरह कलाएं बच्चों को कई तरह के कौशल और क्षमताओं का उपयोग करने में सक्षम बनाती है।

सीखने की प्रक्रिया को समग्र और अनुभवात्मक बनाने में कला की क्या भूमिका हो सकती है?

कला के विभिन्न रूपों से जुड़ते हुए विद्यार्थी विभिन्न चरणों से गुजरते हैं। जैसे कि अवलोकन करना, विचार करना, कल्पना करना, खोज करना, प्रयोग करना, तर्क द्वारा निर्णय पर पहुंचना, सृजन करना और व्यक्त करना।

इन चरणों के लिए निम्न तीन क्षेत्रों की वास्तविक भागीदारी की आवश्यकता होती है १. संज्ञानात्मक २. मनो-प्रेरणा और ३. भावात्मक।

यह स्वरूप में प्रयोगात्मक है और प्रत्येक शिक्षार्थी का समग्र विकास करने में मदद करती है इस तरह के अनुभवात्मक शिक्षण की वजह से इनके द्वारा अन्य विषयों में बेहतर ढंग से शिक्षण दिया जा सकता है। कला इसमें एक तरह से आधार का काम करती है।

कला एकीकरण शिक्षण सीखने के प्रतिफल को प्राप्त करने में कैसे मदद करता है?

कला समेकन एक साथ तीन क्षेत्रों संज्ञानात्मक, मनो-प्रेरणा और भावात्मक पर असर डालती है जो योग्यता आधारित शिक्षण और क्षमता आधारित सीखने के प्रतिफलों की शैक्षणिक आवश्यकता को पूरा करता है।

कला समेकित अधिगम को सीखने का आनंददायक तरीका क्यों माना जाता है?

कलाएं किसी भी कल्पना और विचारों की अभिव्यक्ति का स्वाभाविक माध्यम होती है। इनके माध्यम से हर शिक्षार्थी को अद्वितीय और अलग पहचान रखने की आजादी होती है।

स्कूल के स्तर पर शिक्षण शास्त्र के रूप में कला समेकित शिक्षा बिना इस बात की चिंता किए कि उनका कार्य कैसा होगा और दूसरे उनके बारे में क्या सोचेंगे, हर शिक्षार्थी को नई चीज के बारे में जानने अनुभव करने और व्यक्त करने के लिए रचनात्मक स्थान प्रदान करता है।

इसमें सीखने वाले को कला को एक प्रक्रिया के रूप में अनुभव करने और परिणाम की चिंता नहीं करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। जिससे उन्हें विषय से जुड़े भय को दूर करने में मदद मिलती है और करने व सीखने की उनकी खुशी में बढ़ोतरी होती है।

कलाएं विविधताओं पर भी चर्चा करती है और प्रत्येक शिक्षार्थी को अभिव्यक्ति के वैकल्पिक साधन प्रदान करती है। जहां वे परिणाम के दबावों के बिना किसी विषय को अधिक गहराई से खोज सकते हैं और अनुभव कर सकते हैं इसके कारण शिक्षण आनंददायक बन जाता है।

कला समेकित अधिगम शिक्षा के समावेशी ढांचे में कैसे सहायक है?

कला का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है कि इसमें कोई सही या गलत उत्तर नहीं होता है। ज्ञान को अनुभवात्मक तरीके से प्राप्त किया जाता है। शिक्षित से अशिक्षित, विशेष आवश्यकता समूह से सामान्य या लड़कियों से लड़कों की कला के काम में अंतर करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि कला स्वयं की अभिव्यक्ति है।

यह वंचितों को कला से जुड़े कार्यों के माध्यम से अपने मन की भावनाओं को व्यक्त करने में मदद करती है। इसी तरह जो लोग ऐसे समुदाय से संबंध रखते हैं जिन्हें सामाजिक बहिष्कार का शिकार होना पड़ता है, वे कक्षा के अन्य लोगों के साथ आसानी से काम कर सकते हैं, क्योंकि कला एक ऐसी यात्रा है जिसमें किसी के पास भी सारे जवाब नहीं होते।

कला से जुड़ी गतिविधियां बच्चों को एक दूसरे के साथ जुड़ने में मदद करती है ताकि धीरे-धीरे बाधाएं टूट सके और विभिन्न पृष्ठभूमि से संबंधित बच्चे आपस में संवाद कर सके।

कला समेकित शिक्षा का उद्देश्य

(1) कला समेकित शिक्षा का उद्देश्य कला को शिक्षण का माध्यम कैसे बनाया जाए और प्रत्येक बच्चे के सीखने और समग्र विकास पर इनके प्रभाव को कैसे समझा जाए।

(2) बच्चे की रचनात्मक अभिव्यक्ति का पता लगाने के माध्यम के रूप में कला अनुभवों (विभिन्न कला रूपों का) प्रयोग करना।

(3) विभिन्न विषयों की शिक्षा को रोचक बनाने और आयु के अनुसार कला अनुभवों के आयोजन की योग्यता हासिल करना।

(4) योग्यता के आधार पर शिक्षण।

कला समेकित शिक्षा में अध्ययन बिंदु निम्न प्रकार से हो सकते हैं –

  • विषय वस्तु पर नाटक का मंचन (सामाजिक कुरीतियां त्यागने पर)
  • सामूहिक रूप से पोस्टर तैयार करके (जल संरक्षण)
  • भाषा कौशल विकास हेतु भाषण, निबंध लेखन आदि का आयोजन
  • विज्ञान विषय वस्तु को प्रयोग द्वारा स्पष्ट किया जाना।
  • तर्क वितर्क क्षमता संवर्धन हेतु अंत्याक्षरी, किसी सामाजिक मुद्दे पर वाद-विवाद का आयोजन
  • शुद्ध उच्चारण के लिए ऑडियो टेप रिकॉर्डर का प्रयोग करना
  • संवेदी भावनाओं को प्रकट करने के लिए चित्रकला और मूर्तिकला

कला शिक्षा का अन्य विषयों के साथ संबंध

स्कूलों में कला शिक्षा की उपयोगिता को हम प्राय 3 तरीकों से देखा जाता है –

  1. स्वतंत्र विषय के रूप में
  2. अन्य स्कूली विषयों को सिखाने के माध्यम के रूप में तथा
  3. जीवन कौशल विकसित करने के अवसर के रूप में
  4. कला शिक्षा के अंतर्गत विभिन्न कलाओं को जोड़कर सीखने सिखाने को रोचक बनाया जा सकता है।

भाषा में कला समेकित शिक्षा

प्राथमिक कक्षाओं में भाषा शिक्षण के मुख्य उद्देश्य में भाषाई कुशलता (सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना) के साथ-साथ कल्पनाशीलता, संवेदनशीलता आदि क्षमताओं का विकास भी है।

कला समेकित शिक्षा इन कुशलता एवं क्षमताओं की वृद्धि का सशक्त माध्यम है। जैसे छात्रों को बातचीत के अवसर उपलब्ध करवाना, कहानियां एवं कविताएं सुनाना, सुनाना एवं लिखना, सिखाना आदि।

यहां तक भाषिक कुशलताओं के अंतर्गत लेखन कौशल की बात करें तो इनकी शुरुआत बच्चे आड़ी तिरछी रेखाएं खींचकर करते हैं। आमतौर पर शिक्षा शास्त्र की भाषा में इसे शुरुआती लेखन कहा जाता है।

गतिविधि : चित्र को दिखाकर गतिविधि करवाई जा सकती है :

  • चित्रों पर बातचीत
  • चित्रों पर कहानी की रचना, कविता की रचना
  • चित्रों पर लेख / निबंध रचना आदि।

कक्षाओं में भाषा की पाठ्य पुस्तकों को ध्यान में रखकर ऐसी गतिविधियों के आयोजन से भाषा सीखना सिखाना आसान एवं मनोरंजक बन सकता है।

गणित और कला समेकित शिक्षा

विभिन्न वस्तुओं के बीच संबंधों को समझना गणित का एक प्रमुख उद्देश्य है। गणित में गिनती, माप और आकार प्रमुख है। कला शिक्षा बच्चों को सम-असम आकारों को पहचानने, द्विआयामी या त्रिआयामी आकृतियां बनाने में मदद करती है। जिससे बच्चे लंबाई, चौड़ाई, ऊंचाई, क्षेत्रफल आदि का अनुभव प्राप्त करते हैं।

पैटर्न के साथ-साथ स्थान, सीमा, दिशा और आवर्तन की अवधारणाएं पहचानना शुरू कर देते हैं। इसी प्रकार दाएं, बाएं, ऊपर, नीचे, उत्तर, दक्षिण, आधा मोड तथा पूरा मोड़ जैसी शब्दावली से न सिर्फ परिचित होते हैं बल्कि इनकी अवधारणाओं को भी समझते हैं।

गतिविधि :

  • सभी बच्चों के द्वारा पतंग बनाना
  • पतंगों को विभिन्न रंगों में सजाना अथवा कालेज का रूप देना।
  • पतंग बन जाने के बाद पतंग की लंबाई, चौड़ाई तथा विकर्ण की माप लें।
  • दूसरी बनाई गई पतंग की परिमित, क्षेत्रफल, विकर्ण आदि की तुलना करें।

ज्यामितीय आकारों से मिलती-जुलती प्राकृतिक और अप्राकृतिक वस्तुएं पहचान कर उनकी सूची बनाएं जैसे – त्रिभुज – क्रिसमस ट्री, वृत्त – फल, सूर्य, आकार – मेज, पुस्तक।

पर्यावरण अध्ययन और कला समेकित शिक्षा

हमारे चारों ओर का वातावरण हमारी संवेदनाओं को प्रभावित करती है। कला शिक्षा के माध्यम से हम पर्यावरण को समझकर उसे अभिव्यक्त कर सकते हैं। पर्यावरण को स्वच्छ रखने की सीख चित्र पर्यावरण से मिलती है उतनी ही सीख एक कलाकार अपनी रचना में पर्यावरण को कलात्मक ढंग से जोड़ते हुए दे सकता है।

भूगोल एवं पर्यावरण अध्ययन के शिक्षण में क्षेत्रीय कलाओं और हस्तशिल्प की महत्वपूर्ण भूमिका है।

जैसे स्थानीय कच्चे माल की उपलब्धता पर आधारित स्थानीय हस्तशिल्प परंपराओं का उदय व विकास की जानकारी। हस्तशिल्प से संबंधित शिल्पकारों के कार्यों एवं उनके जीवन यापन की समझ विभिन्न पर्यावरणीय समस्याओं को स्थानीय शिल्प एवं उनके द्वारा निर्मित एवं अन्य वस्तुओं से स्कूल का संग्रहालय विकसित करना।

गतिविधि :

किसी समकालीन कला प्रदर्शनी संग्रहालय किला एवं दुर्ग मेले में से किसी एक पर सारगर्भित रिपोर्ट तैयार करना।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  1. कला समेकित शिक्षा क्या है?

    उत्तर : विभिन्न पाठ्यक्रम क्षेत्रों की विषय वस्तु के सीखने सिखाने के साथ कला को जोड़ देना ही कला समेकित शिक्षा है। भाषा, सामाजिक अध्ययन, विज्ञान और गणित जैसे विषयों को कला के साथ परस्पर संबंधित करने के लिए तैयार किया जा सकता है।

  2. सीखने की प्रक्रिया को समग्र और अनुभवात्मक बनाने में कला की क्या भूमिका हो सकती है?

    उत्तर : कला के विभिन्न रूपों से जुड़ते हुए विद्यार्थी विभिन्न चरणों से गुजरते हैं। जैसे कि अवलोकन करना, विचार करना, कल्पना करना, खोज करना, प्रयोग करना, तर्क द्वारा निर्णय पर पहुंचना, सृजन करना और व्यक्त करना।
    यह स्वरूप में प्रयोगात्मक है और प्रत्येक शिक्षार्थी का समग्र विकास करने में मदद करती है इस तरह के अनुभवात्मक शिक्षण की वजह से इनके द्वारा अन्य विषयों में बेहतर ढंग से शिक्षण दिया जा सकता है। कला इसमें एक तरह से आधार का काम करती है।

  3. कला समेकित अधिगम को सीखने का आनंददायक तरीका क्यों माना जाता है?

    उत्तर : कलाएं विविधताओं पर चर्चा करती है और प्रत्येक शिक्षार्थी को अभिव्यक्ति के वैकल्पिक साधन प्रदान करती है। जहां वे परिणाम के दबावों के बिना किसी विषय को अधिक गहराई से खोज सकते हैं और अनुभव कर सकते हैं, इसके कारण शिक्षण आनंद में बन जाता है।

My name is Mahendra Kumar and I do teaching work. I am interested in studying and teaching competitive exams. My qualification is B.A., B.Ed., M.A. (Pol.Sc.), M.A. (Hindi).

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