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मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) या भीड़ हत्या क्या है

इस आर्टिकल में मॉब लिंचिंग या भीड़ हत्या का अर्थ (Mob Lynching Meaning In Hindi), भीड़ हत्या या मॉब लिंचिंग क्या है के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है।

मॉब लिंचिंग का शाब्दिक अर्थ

मॉब (Mob) का शाब्दिक अर्थ है – भीड़। लिंचिंग (Lynching) का शाब्दिक अर्थ है – गैर कानूनी तरीके से मारना।

मॉब लिंचिंग या भीड़ हत्या क्या है

भीड़ द्वारा किसी व्यक्ति को गैर कानूनी तरीके से पीट-पीटकर मार डालना ही मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) है। इसलिए मॉब लिंचिंग को ‘भीड़ हत्या’ भी कहा जाता है। मॉब लिंचिंग एक तरह से ‘भीड़ तंत्र का न्याय’ ही है।

उदाहरण के लिए मान लिजिए आप किसी सार्वजनिक स्थान पर है और बहुत भीड़ इकट्ठी हुई है। किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति पर चोरी करने या किसी लड़की के साथ छेड़छाड़ करने का आरोपी लगाकर शोर मचा दिया है। उस समय उस भीड़ द्वारा अपनी सुरक्षा हेतु उस व्यक्ति की पिटाई कर देते है और भीड़ में क्रोध आ जाता है तथा समर्थकों द्वारा और उकसाते हुए उस व्यक्ति की इस कदर पिटाई की जाती है की उस व्यक्ति की मौत हो जाती है। यही मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) की घटना कहलाती है।

इस प्रकार इस मॉब लिंचिंग के द्वारा निर्दोष लोगों की हत्या कर दी जाती है।

आपने अख़बारों, टीवी और इंटरनेट पर यह सुना और पढ़ा होगा कि किसी स्थान पर गुस्साई भीड़ ने एक व्यक्ति को पीट-पीटकर मार डाला है। इसके पीछे कारण गोरक्षा, चोरी, छेड़छाड़, धार्मिक भावना आहत होना आदि हो सकते हैं। यह मोब लिंचिंग का ही मामला होता है।

जब क्रोधित भीड़ किसी व्यक्ति की जान ले लेती है उस समय उस क्रोधित भीड़ की नजरों में वह व्यक्ति दोषी है, हो सकता है। परन्तु कानून की दृष्टि से वह दोषी न भी हो। इस इस घटना के लिए किसी एक व्यक्ति को दोषी नहीं माना जाता। क्योंकि इसमें कई लोगों का हाथ और समर्थन होता है। भीड़ की कोई व्यक्तिगत रूप से या सामूहिक रूप से कोई पहचान नहीं होती।

अक्सर ऐसी घटनाओं पर कोई कानूनी कार्रवाई करने में कठिनाई आती है। लिंचिंग कानून की प्रक्रिया से बाहर होता है। क्योंकि भीड़ द्वारा ही न्याय का फैसला किया किया जाता है। इसलिए ही तो इसे ‘भीड़ तंत्र का न्याय’ कहा जाता है।

मॉब लिंचिंग के कारण क्या है

हमारे देश भारत में मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) के ज्यादातर उदाहरण धर्म के नाम पर देखने को मिलते हैं। मॉब लिंचिंग होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे चोरी करने पर, छेड़छाड़ करने, धार्मिक भावनाएं आहत होने पर, राजनीतिक, सामाजिक, शासन व्यवस्था और सुरक्षा में कमी से उत्पन्न रोष, वोट बैंक की राजनीति आदि कारण है।

मॉब लिंचिंग के दौरान भीड़ आती कहां से है

घटना के दौरान मौजूद भीड़ के अलावा कुछ ही समय में और ज्यादा भीड़ इकट्ठी हो जाने का कारण उस घटना का सोशल मीडिया (Social Media) द्वारा लोगों तक पहुंचना है। जिससे और भीड़ बढ़ जाती है तथा घटना को अंजाम दे दिया जाता है।

यह नहीं कहा जा सकता कि एकमात्र सोशल मीडिया ही मॉब लिंचिंग के दौरान भीड़ इकट्ठी करता है। और अन्य कारण भी हो सकते हैं, परंतु सोशल मीडिया प्रमुख कारण है।

आजकल सोशल मीडिया पर फैली झूठी और निराधार खबरों व वीडियो के वायरल होने पर लोग उनको दोषी समझकर इतना पीटा जाता है कि उनकी मौत तक हो जाती है। कई बार मौजूद भीड़ द्वारा ही मॉब लिंचिंग की घटना को अंजाम दे दिया जाता है।

मॉब लिंचिंग का इतिहास

मॉब लिंचिंग की शुरुआत यूरोप से हुई है। यूरोप के इतिहास में भीड़ द्वारा सजा देने का प्रावधान था। लिंचिंग शब्द की उत्पत्ति अमेरिका सिविल वार के दौरान हुई। इसका संबंध विलियम लिंच और चार्ल्स लिंच के साथ जुड़ा हुआ है जिन्होंने निजी अदालतों के द्वारा बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के इन भीड़तंत्र को सजा देने लगे थे।

अमेरिका के लूसियाना राज्य में स्थानीय जेल में 14 मार्च 1891 को लिंचिंग की पहली घटना सामने आई। भारत में मॉब लीचिंग की पहली घटना नागालैंड के दीमापुर में 2015 में घटी जब एक बलात्कार के आरोपी को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था।

मॉब लिंचिंग के लिए कानूनी प्रावधान

भारतीय कानून में मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) जैसी घटनाओं के विरुद्ध कार्रवाई करने को लेकर कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। इन्हें हत्या, हत्या का प्रयास, दंगा फसाद, बगैर अनुमति एकत्रित होना आदि धाराओं के तहत ही सुलझाया जा सकता है।

मॉब लिंचिंग के लिए भारत में अभी तक अलग से कोई कानून नहीं बना है। हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए सरकार को इस तरह के मामलों के लिए कानून बनाने को कहा है तथा राज्यों को एक गाइडलाइन भी जारी की है जिसके तहत इन मामलों में कमी लाई जा सके।

मॉब लिंचिंग जैसी घटनाओं को रोकने के उपाय

  • मनुष्य अपनी भावनाओं पर काबू रखें तथा संयम बनाए रखें।
  • आम जनता कानूनी प्रक्रिया का पालन करें एवं कानून में विश्वास बनाए रखें।
  • जन जागरूकता के अभाव में भी ऐसी घटनाएं होती है अतः जनता को जागरूक किया जाना भी जरूरी है।
  • मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) पर अलग से स्पष्ट कानून बनाया जाए।
  • सोशल मीडिया पर निगरानी रखी जाए और इस प्रकार की झूठी और निराधार संदेश, समाचार और वीडियो को हटाया जाना चाहिए। क्योंकि सोशल मीडिया का इस तरह की घटनाओं को उग्र करने में सर्वाधिक योगदान होता है।
  • सशस्त्र बलों को आधुनिक तकनीक एवं संसाधनों से मजबूत बनाया जाए।
  • सुरक्षाबलों द्वारा उचित समय रहते ही कार्यवाही करना जिससे भीड़ उग्र ना हो तथा कोई जनहानि ना हो पाए।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  1. मॉब लिंचिंग का अर्थ क्या है ?

    उत्तर : भीड़ द्वारा किसी व्यक्ति को गैर कानूनी तरीके से पीट-पीटकर मार डालना ही मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) है। इसलिए मॉब लिंचिंग को ‘भीड़ हत्या’ भी कहा जाता है। मॉब लिंचिंग एक तरह से ‘भीड़ तंत्र का न्याय’ ही है।

  2. मॉब लिंचिंग के कारण क्या है?

    उत्तर : हमारे देश भारत में मॉब लिंचिंग(Mob Lynching) के ज्यादातर उदाहरण धर्म के नाम पर देखने को मिलते हैं। मॉब लिंचिंग होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे चोरी करने पर, छेड़छाड़ करने, धार्मिक भावनाएं आहत होने पर, राजनीतिक, सामाजिक, शासन व्यवस्था और सुरक्षा में कमी से उत्पन्न रोष, वोट बैंक की राजनीति आदि कारण है।

My name is Mahendra Kumar and I do teaching work. I am interested in studying and teaching competitive exams. My qualification is B.A., B.Ed., M.A. (Pol.Sc.), M.A. (Hindi).

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