स्वतंत्रता की नकारात्मक और सकारात्मक अवधारणा

इस आर्टिकल में स्वतंत्रता की नकारात्मक और सकारात्मक अवधारणाओं, सकारात्मक स्वतंत्रता क्या है, नकारात्मक स्वतंत्रता क्या है, स्वतंत्रता के सकारात्मक पहलू के विचारक, स्वतंत्रता के नकारात्मक पहलू के विचारक और बर्लिन की स्वतंत्रता की अवधारणा आदि टॉपिक पर चर्चा की गई है।

इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप स्वतंत्रता की सकारात्मक और नकारात्मक अवधारणा के बीच अंतर कर पाएंगे।

स्वतंत्रता की सकारात्मक और नकारात्मक अवधारणा के वर्गीकरण का श्रेय सर आइज़िया बर्लिन को जाता है। बर्लिन ने 1958 में “टू कांसेप्ट ऑन लिबर्टी” (Two Concept On Liberty) प्रकाशित की। 1969 में संशोधन करके “फॉर ऐसे ऑन लिबर्टी” (Four Essay On Liberty) के नाम से प्रकाशन किया। बर्लिन के अनुसार स्वतंत्रता का आधार ‘दमन का अभाव’ है।

कार्ल पॉपर ने अपनी पुस्तक “ओपेन सोसाइटी एंड इट्स इनेमिज” (Open Society And it’s Enemies) में सकारात्मक और नकारात्मक स्वतंत्रता के बीच विभेद किया है।

सकारात्मक स्वतंत्रता क्या है ?

सकारात्मक स्वतंत्रता का अर्थ है – किए जाने योग्य कार्यों को करने की सुविधा। वह स्थिति जिसमें व्यक्ति अपने जीवन को मनचाहा रूप देने में असमर्थ हो और राज्य उसकी इस असमर्थता को दूर करने के लिए ठोस कार्रवाई करें।

स्वतंत्रता के सकारात्मक पहलू के विचारक रूसो, हिगल, मार्क्स, गांधी, अरविंद, मैकफर्सन (सृजनात्क स्वतंत्रता का प्रतिपादक), लास्की, वार्कर, जॉन रॉल्स, ग्रीन हैं।

मैकफर्सन जो उदारवादी चिंतक था। सकारात्मक स्वतंत्रता का जबरदस्त हिमायती था जिसने सकारात्मक स्वतंत्रता को विकासात्मक स्वतंत्रता कहना पसंद किया। समाजवादियों ने स्वतंत्रता के सकारात्मक पक्ष का समर्थन किया।

सकारात्मक स्वतंत्रता की अवधारणा को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से अच्छी तरह समझा जा सकता है –

  • सकारात्मक स्वतंत्रता आजादी के प्रयोग अवधारणा पर आधारित है।
  • सकारात्मक स्वतंत्रता मानती है कि व्यक्ति अवसरों का प्रयोग करें तथा व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास में कम से कम अवरोध हो।
  • सकारात्मक स्वतंत्रता का सरोकार व्यक्ति और समाज के संबंधों की प्रकृति और स्थिति से है।
  • सकारात्मक स्वतंत्रता स्वेच्छापूर्वक कार्य करने का अवसर है परंतु दूसरों की स्वतंत्रता में बाधा ना डालें।
  • सकारात्मक स्वतंत्रता का संबंध कुछ करने की स्वतंत्रता के विचार की व्याख्या से जुड़े हैं। समतावाद इसी विचारधारा से जुड़ा हुआ है।
  • सकारात्मक स्वतंत्रता सकलवाद की पुष्टि करती है।

नकारात्मक स्वतंत्रता क्या है ?

नकारात्मक स्वतंत्रता का अर्थ है – बंधनों का अभाव। वह स्थिति जिसमें व्यक्ति अपने जीवन को मनचाहा रूप देने में समर्थ हो और राज्य उसके रास्ते में कोई रुकावट पैदा ना होने दें।

नकारात्मक स्वतंत्रता की धारणा का सूत्रपात उन्नीसवीं शताब्दी में उदारवादी दर्शन के साथ हुआ। नकारात्मक स्वतंत्रता की बहस को समकालीन अमेरिकी दार्शनिक रॉर्बट नॉजिक ने आगे बढ़ाया। रॉबर्ट नॉजिक ने स्वेच्छातंत्रवाद के क्षेत्र में योगदान दिया और नकारात्मक स्वतंत्रता इसी सिद्धांत के साथ जुड़ी हुई है।

स्वतंत्रता के नकारात्मक पहलू के समर्थक हॉब्स, लॉक, मिल, एडम स्मिथ, थॉमस पेन, हरबर्ट स्पेंसर और बेंथम आदि है।

स्वतंत्रता के नकारात्मक पहलू के विचारक आइज़िया बर्लिन है। अतः नकारात्मक स्वतंत्रता का प्रतिपादक आइजिया बर्लिन है। आइज़िया बर्लिन ने अपनी पुस्तक “टू कांसेप्ट ऑफ़ लिबर्टी 1958” (Two Concept of liberty 1958) में नकारात्मक स्वतंत्रता को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है।

समकालीन उदारवादी चिंतन के अंतर्गत आइज़िया बर्लिन, एफ ए हेयक और मिल्टन फ्रीडमैन ने सकारात्मक स्वतंत्रता के मुकाबले नकारात्मक स्वतंत्रता को प्रमुखता देकर स्वतंत्रता के सार तत्व को असीम क्षति पहुंचाई है।

जॉन लॉक नकारात्मक स्वतंत्रता का महान व्याख्याता था और असीमित स्वतंत्रता के सिद्धांत का प्रतिपादन किया।

स्वतंत्रता की सकारात्मक अवधारणा को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से अच्छी तरह समझा जा सकता है –

  • लिबर्टी का अर्थ ‘बंधनों का अभाव’ जो नकारात्मक अर्थ लिए हुए हैं।
  • नकारात्मक स्वतंत्रता शोषण की प्रवृत्ति को बढ़ावा देती है।
  • नकारात्मक स्वतंत्रता परतंत्र समाज को जन्म देती है।
  • नकारात्मक स्वतंत्रता मनुष्य को स्वायत्त मानती है।
  • नकारात्मक स्वतंत्रता सिर्फ अवसरों का मौजूद होना मानती है।
  • राजनीतिक स्वतंत्रता एक नकारात्मक स्वतंत्रता है।
  • नकारात्मक स्वतंत्रता प्रतिबंधों की अनुपस्थिति के रुप में देखती है।
  • नकारात्मक स्वतंत्रता राज्य को व्यक्तिगत स्वतंत्रता का शत्रु मानती है।
  • नकारात्मक स्वतंत्रता मानती है कि किसी बाहरी सत्ता का हस्तक्षेप अनुचित है। हस्तक्षेप का क्षेत्र जितना बड़ा होगा स्वतंत्रता उतनी ही अधिक होगी।
  • नकारात्मक स्वतंत्रता का सरोकार अहस्तक्षेप के अनुलंघनीय क्षेत्र से है। इस क्षेत्र से बाहर समाज की स्थितियों से नहीं।
  • नकारात्मक स्वतंत्रता का तर्क है कि वह कौनसा क्षेत्र है, जिसका मैं स्वामी हूं, व्यक्ति क्या करने से मुक्त है।
  • नकारात्मक स्वतंत्रता मनुष्य की स्वतंत्रता के व्यक्तिगत पहलू पर जोर देती है और व्यक्ति के व्यक्तित्व का अंग मानती है।
  • नकारात्मक स्वतंत्रता बहुलवाद की पुष्टि करती है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  1. स्वतंत्रता के नकारात्मक पहलू का विचारक कौन था

    उत्तर : स्वतंत्रता के नकारात्मक पहलू के विचारक के समर्थक हॉब्स, लॉक, मिल, एडम स्मिथ, थॉमस पेन, हरबर्ट स्पेंसर और बेंथम आदि है।

  2. स्वतंत्रता के सकारात्मक पहलू का विचारक कौन था

    उत्तर : स्वतंत्रता के सकारात्मक पहलू के विचारक रूसो, हिगल, मार्क्स, गांधी, अरविंद, मैकफर्सन, लास्की, वार्कर, जॉन रॉल्स, ग्रीन हैं।

  3. नकारात्मक स्वतंत्रता का प्रतिपादक कौन है

    उत्तर : नकारात्मक स्वतंत्रता का प्रतिपादक आइजिया बर्लिन है। आइज़िया बर्लिन ने अपनी पुस्तक “टू कांसेप्ट ऑफ़ लिबर्टी 1958” (Two Concept of liberty 1958) में नकारात्मक स्वतंत्रता को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है।

  4. स्वतंत्रता की सकारात्मक और नकारात्मक अवधारणा का वर्गीकरण किया ?

    उत्तर : स्वतंत्रता की सकारात्मक और नकारात्मक अवधारणा के वर्गीकरण का श्रेय सर आइज़िया बर्लिन को जाता है।

My name is Mahendra Kumar and I do teaching work. I am interested in studying and teaching competitive exams. My qualification is B.A., B.Ed., M.A. (Pol.Sc.), M.A. (Hindi).

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