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डेविड ईस्टन के अनुसार उत्तर व्यवहारवाद की विशेषताएं

उत्तर व्यवहारवाद का प्रमुख प्रवक्ता डेविड ईस्टन है जो व्यवहारवाद का भी प्रवक्ता रहा है। डेविड ईस्टन ने उत्तर व्यवहारवाद की 7 विशेषताएं बतायी है, जिन्हें वह “औचित्यपूर्णता के सिद्धांत” (Relevance of Credo) या ‘प्रासंगिकता का धर्म’ कहता है।

डेविड ईस्टन ने उत्तर व्यवहारवाद के दो प्रमुख दायित्व प्रस्तुत किए हैं : (1) औचित्यपूर्णता (Relevance) और (2) क्रियानिष्ठता या कर्म।

डेविड ईस्टन के अनुसार उत्तर व्यवहारवाद की 7 विशेषताएं

(1) प्रविधि से पूर्व सार विषय (तकनीक से पहले तथ्य)

व्यवहारवादियों ने अध्ययन विषय की अपेक्षा अध्ययन की प्रविधि पर अधिक बल दिया गया था, लेकिन उत्तर व्यवहारवादियों ने इस सत्य को स्वीकार किया कि अध्ययन प्रविधि की अपेक्षा अध्ययन विषय (तथ्य) अधिक महत्वपूर्ण है।

दूसरे शब्दों में, उत्तर व्यवहारवादी इस बात पर बल देते हैं कि जब तक अनुसंधान समकालीन आवश्यक सामाजिक समस्याओं से संबंध और अर्थपूर्ण नहीं है, तब तक अनुसंधान की प्रविधि पर विचार करना निरर्थक है। उत्तर व्यवहारवाद कि मान्यता है कि शोध की तुलना में शोध की प्रासंगिकता महत्वपूर्ण है।

आनुभविक विद्वानों का कहना है कि हमें केवल तथ्यों से सरोकार रखना चाहिए, क्योंकि तथ्यों का ही वैज्ञानिक परीक्षण संभव है। इसी कारण व्यवहारवादी जेम्स ब्राइस ने अपनी पुस्तक मॉडर्न डेमोक्रेसी में लिखा है कि, “राजनीति विज्ञान का तात्पर्य – तथ्य, तथ्य, तथ्य।”

व्यवहारवादी कहा करते थे कि ‘अस्पष्ट होने से गलत होना अच्छा है’ (Better to be wrong than vague) इसके जवाब में उत्तर व्यवहारवादियों का कहना है कि ‘असंगत रूप से निश्चित होने की अपेक्षा अस्पष्ट होना कहीं अधिक श्रेयस्कर है’ (Better to vague than non-releventy).

(2) सामाजिक परिवर्तन पर बल

व्यवहारवाद यथास्थिति के साथ जुड़ गया था, लेकिन उत्तर-व्यवहारवादियों की मान्यता है कि सामाजिक संरक्षण तथा यथास्थिति के स्थान पर सामाजिक परिवर्तन तथा गतिशीलता को अपनाया जाना चाहिए, सामाजिक परिवर्तन को गति एवं दिशा प्रदान की जानी चाहिए।

(3) समस्याओं के विश्वसनीय निदान की आवश्यकता

व्यवहारवाद अमूर्त अवधारणाओं और विकल्पों के साथ जुड़ गया था लेकिन उत्तर-व्यवहारवादी समाज की समकालीन समस्याओं से आंखें नहीं मूंद लेना चाहता है। उनके अनुसार राजनीतिशास्त्र की औचित्यपूर्णता इस बात पर निर्भर करती है कि वह मानव जाति की वास्तविक समस्याओं का समाधान करने की दिशा में आगे बढ़ें।

(4) मूल्यों की महत्वपूर्ण भूमिका

व्यवहारवाद ने मूल्य निरपेक्षता पर बल दिया था और इस स्थिति में राजनीति विज्ञान को प्रयोजनहीन बना दिया। उत्तर व्यवहारवादियों ने मूल्यों की निर्णायक भूमिका को स्वीकार किया है। वे इस बात पर बल देते हैं कि यदि ज्ञान को सही प्रयोजनों के लिए प्रयोग में लाना है तो मूल्यों को उनकी केंद्रीय स्थिति प्रदान करनी होगी।

उत्तर व्यवहारवाद ने तथ्यों और मूल्यों दोनों को आवश्यकता अनुसार महत्व देकर राजनीतिक अध्ययन को औचित्यपूर्ण और प्रासंगिकता प्रदान करता है।

(5) बुद्धिजीवियों की भूमिका

अध्ययन विषय की तुलना में प्रविधि को अधिक महत्व दिए जाने के कारण व्यवहारवाद मात्र वैज्ञानिक शोधकर्ता, तकनीशियन और प्रविधिज्ञ के साथ जुड़कर रह गया था, लेकिन उत्तर व्यवहारवादियों द्वारा मूल्यों तथा चिंतन के महत्व को स्वीकार किए जाने के साथ इस मान्यता को अपनाया गया कि “बौद्धिकवर्ग की समाज में एक निश्चित और महत्वपूर्ण भूमिका है।”

(6) कर्मनिष्ठ विज्ञान

उत्तर व्यवहारवादी एकता पर बल देते हैं और उनका कथन है कि राजनीतिक विषयों के अध्ययनकर्ता को समाज के पुनर्निर्माण कार्य में रत रहना चाहिए। जैसा कि डेविड ईस्टन ने कहा है, “जानने का अर्थ है कार्य के उत्तरदायित्व को धारण करना और कार्य का अर्थ है समाज के पुनर्निर्माण में व्यस्त रहना।”

(7) व्यवसाय का राजनीतिकरण करना

एक बार यह मान लेने के बाद कि समाज में बुद्धिजीवियों की एक महत्वपूर्ण रचनात्मक भूमिका है, और यह भूमिका समाज के लिए समुचित उद्देश्यों को निर्धारित करने और समाज को इन उद्देश्यों की दिशा में प्रेरित करने की है, इस निष्कर्ष पर पहुंचना अनिवार्य हो जाता है कि सभी धंधों का राजनीतिकरण जिसमें राजनीति शास्त्र की सभी संस्थाएं और विश्वविद्यालय भी आ जाते हैं, नए केवल अनिवार्य वरन् अत्यधिक वांछनीय है।

उत्तर व्यवहारवाद की अन्य विशेषताएं :

(8) उत्तर व्यवहारवाद विकसित एवं विकासशील (तृतीय विश्व) देशों का अध्ययन करता है।

(9) उत्तर व्यवहारवाद चित्तनोन्मुख ज्ञान के स्थान पर क्रियाशील ज्ञान पर बल देता है।

(10) उत्तर व्यवहारवाद का नारा “अप्रासंगिक सुनिश्चित से अस्पषट होना कम बुरा था।” है।

(11) राजनीतिक सिद्धांत के दार्शनिक और अनुभववादी दृष्टिकोणों में समन्वय स्थापित करना चाहते हैं।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  1. उत्तर व्यवहारवाद का नारा क्या है?

    उत्तर : उत्तर व्यवहारवाद का नारा “अप्रासंगिक सुनिश्चित से अस्पषट होना कम बुरा था।” है।

  2. उत्तर व्यवहारवाद किन देशों का अध्ययन करता है?

    उत्तर : उत्तर व्यवहारवाद विकसित एवं विकासशील (तृतीय विश्व) देशों का अध्ययन करता है।

  3. डेविड ईस्टन ने उत्तर व्यवहारवाद के दो प्रमुख दायित्व प्रस्तुत किए हैं। वे है?

    उत्तर : डेविड ईस्टन ने उत्तर व्यवहारवाद के दो प्रमुख दायित्व प्रस्तुत किए हैं : (1) औचित्यपूर्णता (Relevance) और (2) क्रियानिष्ठता या कर्म।

My name is Mahendra Kumar and I do teaching work. I am interested in studying and teaching competitive exams. My qualification is B.A., B.Ed., M.A. (Pol.Sc.), M.A. (Hindi).

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