इस आर्टिकल में हिंदी साहित्य के इतिहास से संबंधित ग्रंथ, काल विभाजन एवं नामकरण, आदिकाल के नामकरण के मत, प्रथम कवि आदि टॉपिक पर चर्चा की गई है।
हिंदी साहित्य के इतिहास से संबंधित ग्रंथ
(1) इस्तवार द लॉ लित्युरेतर एन्दुई – ऐन्दुस्तानी
लेखक – गार्सा द तासीभाषा – यह ग्रंथ फ्रेंच भाषा में लिखा गया है।
समय -1839 ई.
विशेषताएं –
- नामकरण नहीं किया।
- काल विभाजन भी नहीं किया।
- 750 के लगभग कवि शामिल जो अंग्रेजी वर्ण क्रम के आधार पर लिखा गया है।
- इसमें उर्दू के कवि भी शामिल हैं।
(2) शिव सह सरोज
लेखक – शिव सिंह सेंगर
समय – 1883 ई.
विशेषताएं –
- इसमें 1000 कवि शामिल है।
- उसका जीवन चरित्र और उदाहरण भी दिए गए हैं।
- कवियों को अकार (अ, आ, इ, ई) के आधार पर लिखा है। काल विभाजन भी नहीं किया है।
- नामकरण भी नहीं किया है।
- पुष्य को हिंदी का पहला कवि माना है।
(3) द मॉडर्न वर्नाक्यूलर लिटरेचर ऑफ नादर्न हिंदुस्तान
लेखक – जॉर्ज ग्रियर्सन
समय – 1888 ई.
विशेषताएं –
- इसमें कवियों को कालक्रम के अनुसार स्थान दिया।
- प्राकृत अपभ्रंश और उर्दू के कवियों को शामिल नहीं किया।
- इसने सर्वप्रथम काल विभाजन और नामकरण का प्रयास किया।
- हिंदी साहित्य इतिहास का प्रथम वास्तविक ग्रंथ।
- इस ग्रंथ का अनुवाद ‘हिन्दी साहित्य का प्रथम इतिहास’ नाम से किशोरी लाल गुप्त ने किया।
काल विभाजन –
- चारण काल – 700 से 1420 ई.
- 15 वीं शताब्दी का धार्मिक पुनर्जागरण – 1406 से 1500 ई.
- जायसी की प्रेम कविता
- ब्रज का कृष्ण संप्रदाय – 1500 से 1800 ई
- मुगल दरबार
- तुलसीदास
- रीतिकाव्य – 1550 से 1692 ई.
- तुलसीदास के अन्य प्रवृत्ति – 1600 से1700 ई
- 18 वी शताब्दी – 1700 से 1800 ई.
- कंपनी के शासन में हिंदुस्तान
- महारानी के शासन में हिंदुस्तान
(4) मिश्र बंधु विनोद
लेखक – मिश्र बंधु (गणेश बिहारी मिश्र, श्याम बिहारी मिश्र, सुखदेव बिहारी मिश्र)
समय – 1913
विशेषताएं –
- 5000 से अधिक कवियों का विवरण।
- कवियों का साहित्यिक मूल्यांकन।
- काल विभाजन और नामकरण किया।
- मिश्र बंधुओं ने रीतिकाल को अलंकृत काल नाम दिया।
काल विभाजन –
- प्रारंभिक काल – पूर्वारंभिक (700 से 1343 विक्रमी), उत्तर आरंभिक काल (1344 से 1444 विक्रमी)
- माध्यमिक काल – पूर्व माध्यमिक (1445 से 1560 विक्रमी), प्रौढ़ माध्यमिक काल (1561 1680 विक्रमी)
- अलंकृत काल – पुर्व अलंकृत काल (1681 से 1690 विक्रमी), उत्तर अलंकृत काल (1691 से 1889 विक्रमी)
- वर्तमान काल – (1926 से अब तक)
(5) हिंदी साहित्य का इतिहास
लेखक – आचार्य रामचंद्र शुक्ल
समय – 1929
विशेषताएं –
- यह ग्रंथ नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित ‘हिंदी शब्द सागर’ की भूमिका में लिखा गया।
- इसमें युगीन परिस्थितियों के संदर्भ में साहित्य के विकास क्रम की व्याख्या है और कवियों के जीवन चरित्र के स्थान पर उनकी रचनाओं का साहित्यिक मूल्यांकन है।
- इसमें लगभग 1000 कवियों को स्थान दिया गया है।
- काल विभाजन और नामकरण किया।
काल विभाजन:
क्र. सं. | काल | प्रवृत्ति | समय (संवत्) |
1. | आदिकाल | वीरगाथा काल | 1050 – 1375 |
2. | पूर्वमध्यकाल | भक्तिकाल | 1375 – 1700 |
3. | उत्तरकाल | रीतिकाल | 1700 – 1900 |
4. | आधुनिक काल | गद्यकाल | 1900 से आगे |
रामचंद्र शुक्ल ने वीरगाथा काल में जिन 12 रचनाओं को शामिल किया है वह है –
- विजयपाल रासो
- हम्मीर रासो
- कीर्ति लता
- कीर्ति पताका
- खुमान रासो
- बीसलदेव रासो
- पृथ्वीराज रासो
- जयचंद्र प्रकाश
- जयमयंक जस चंद्रिका
- परमाल रासो
- खुसरो की पहेलियां
- विद्यापति की पदावली
इन 12 रचनाओं में विजयपाल रासो, हम्मीर रासो, कीर्ति लता, कीर्ति पताका अपभ्रंश की रचनाएं हैं तथा खुमान रासो, पृथ्वीराज रासो, परमाल रासो वीर रस के ग्रंथ हैं।
(6) हिंदी साहित्य की भूमिका
लेखक – हजारी प्रसाद द्विवेदी
(7) हिंदी साहित्य का उद्भव और विकास
लेखक – हजारी प्रसाद द्विवेदी
(8) हिंदी का आदिकाल उद्भव और विकास
लेखक – हजारी प्रसाद द्विवेदी
विशेषताएं – द्विवेदी जी ने भक्ति आंदोलन को भारतीय चिंतन धारा का स्वाभाविक विकास बताया है। प्रेमाख्यान (सूफीकाल) काव्य भारतीय काव्य परंपराओं पर आश्रित हैं। द्विवेदी जी आदिकाल की प्रारंभिक सीमा 1000 ई. काल मानते हैं।
(9) हिंदी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास
लेखक – डॉ रामकुमार वर्मा
समय – 1938
विशेषताएं – इसमें आदिकाल और भक्तिकाल का ही वर्णन है। डॉ रामकुमार वर्मा ने काल विभाजन प्रस्तुत किया है।
काल विभाजन –
- संधि काल – 700 से 1000 विक्रमी
- चारण काल – 1000 से 1375 विक्रमी
- भक्ति काल – 1375 से 1700 विक्रमी
- रीतिकाल – 1700 से 1900
- आधुनिक काल – 1900 से अब तक डॉ रामकुमार वर्मा जी ने छोटे और सरल नाम चलाएं। जैसे – संत काव्य, सूफी काव्य, राम काव्य, कृष्ण काव्य।
(10) हिंदी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास
लेखक – डॉ गणपति चंद्रगुप्त
समय – 1965
विशेषताएं – यह इतिहास ग्रंथ दो खंडों में विभक्त है। गुप्त जी ने इतिहास का काल विभाजन इस प्रकार किया है –
- आदिकाल – 1184 से 1350 ई.
- पूर्व मध्यकाल – 1350 से 1600 ई.
- उत्तर मध्यकाल – 1600 से 1857 ई.
- आधुनिक काल – 1857 ई. से अब तक
👉अन्य हिन्दी साहित्य इतिहास ग्रंथ –
- हिंदी भाषा एवं साहित्य – डॉक्टर श्यामसुंदर दास
- हिंदी साहित्य का इतिहास – रमाशंकर शुक्ल ‘रसाल’
- हिंदी साहित्य और प्रवृतियां – डॉ शिव कुमार वर्मा
- आधुनिक हिंदी साहित्य का इतिहास – डॉ बच्चन सिंह
- हिंदी साहित्य का दूसरा इतिहास – डॉ बच्चन सिंह
- हिंदी साहित्य का समीक्षात्मक इतिहास – डॉ रामगोपाल वर्मा
- हिंदी साहित्य का विवेचनात्मक इतिहास – डॉ राजनाथ शर्मा
- रीति काव्य की भूमिका – डॉ नगेंद्र
- हिंदी साहित्य का इतिहास – नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित 18 भागों में। सबसे बड़ा ग्रंथ है।
आदिकाल के नामकरण के मत
- प्रारंभिक काल – मिश्र बंधु
- वीरगाथा काल – रामचंद्र शुक्ल
- बाल्यकाल या जय काव्य – रमाशंकर शुक्ल ‘रसाल’
- आदिकाल – हजारी प्रसाद द्विवेदी
- संधि एवं चारण काल – डॉ रामकुमार वर्मा
- सिद्ध सामंत काल – राहुल सांकृत्यायन
- बीज वपन्न काल – आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी
- वीर काल- विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
- अपभ्रंश काल – बच्चन सिंह
👉प्रथम कवि :
विद्वान | के अनुसार प्रथम कवि |
ग्रियर्सन | पुष्य या पुष्पदंत |
शिवसिंह सेंगर | पुष्य या पुष्पदंत |
मिश्र बंधु | पुष्य या पुष्पदंत |
रामचंद्र शुक्ल | देवसेना (अपभ्रंश) दलपति विजय (देवभाषा) |
हजारी प्रसाद द्विवेदी | अब्दुर्रहमान (संदेश रासक) |
डॉ रामकुमार वर्मा | स्वयंभू |
डॉ गणपति चंद्रगुप्त | शालिभद्र सूरी |
शिवकुमार शर्मा | शालिभद्र सूरी |
राहुल सांकृत्यायन | सरहपा |
डॉ रामगोपाल शर्मा ‘दिनेश | सरहपा |
डॉ नगेंद्र | सरहपा |
डॉ वासुदेव सिंह | योगिन्दु मुनि |
Also Read :
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
काल विभाजन और नामकरण का मुख्य आधार क्या होता है?
उत्तर :काल विभाजन और नामकरण के लिए ऐतिहासिक कालक्रम, शासक और शासनकाल साहित्यकार, राष्ट्रीय, सामाजिक, सांस्कृतिक या साहित्यिक प्रवृत्ति को कालविभाजन और नामकरण का आधार बनाया जाता है।
आदिकाल को वीरगाथाकाल किसने कहा था?
उत्तर : आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने आदिकाल को वीरगाथाकाल नाम से काल विभाजन और नामकरण किया। वीरगाथाकाल की समयावधि 1050 से 1375 ई माना जाता है।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार काल विभाजन का आधार क्या होना चाहिए?
उत्तर : आचार्य शुक्ल ने हिन्दी साहित्य के विभिन्न कालों का विभाजन युग की मुख्य सामाजिक और साहित्यिक प्रवृत्तियों के आधार पर किया है।