प्रयोगवाद (1943 से 1954 तक) के उद्धव के कारण
(1) प्रगतिवाद की प्रतिक्रिया - विषयों का अभाव, वाद की प्रधानता, मार्क्स का दर्शन
(2) प्रयोगवाद की भूमिका - 1943 में अज्ञेय के संपादन में तार सप्तक का प्रकाशन हुआ, इसमें 7 कवियों की रचनाएं थी, इस सप्तक की भूमिका में कहा गया कि हम कविता के क्षेत्र में नए प्रयोग कर रहे हैं। प्रयोग शब्द का इतनी बार प्रयोग हुआ कि इसका नाम प्रयोगवाद रख दिया।
प्रयोगवाद की विशेषताएं
- नवीन सौंदर्य चेतना
- सिग्मंड फ्रायड दर्शन की अभिव्यक्ति
- बौद्धिकता
- नये उपमानों का प्रयोग
- नये प्रतीक
- कविता में विस्तार कम, गहराई अधिक है
प्रयोगवाद के अगुवा कवि अज्ञेय
प्रयोगवाद के अगुवा कवि अज्ञेय को प्रयोगवाद का प्रवर्तक कहा जाता है। अज्ञेय की स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान क्रांतिकारी के रूप में जेल भी गए। अज्ञेय जी ने सैनिक, प्रतीक, नया प्रतीक, और दिनमान पत्र का संपादन किया। अज्ञेय की कविता का स्वर मूलतः व्यक्तिवादी है।
अज्ञेय की रचनाएं
काव्य - भग्नदूत, चिंता, इत्यलम्, हरी घास पर क्षण भर, बावरा अहेरी, इंद्रधनुष रौंदे हुए ये, अरी ओ करुणा प्रभामय, सागर मुद्रा, आंगन के पार द्वार, कितनी नाव में कितनी बार।
उपन्यास - शेखर : एक जीवनी, नदी के द्वीप, अपने-अपने अजनबी।
सदानीरा - दो खंडकाव्य में उनकी समस्त कविताएं प्रकाशित है।
कितनी नावों मे कितनी बार - ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कृति।
अज्ञेय की प्रसिद्ध पंक्तियां
जीवन का रस लो
देह, मन, आत्मा की रसना से
पर मरे तो मर जाने दो।
(2) किंतु हम हैं द्वीप
हम धारा नहीं है
स्थिर समर्पण है हमारा
द्वीप है हम
(3) उड़ चल हारिल, लिए हाथ में
उषा जाग उठी प्राची में
कैसी बाट, भरोसा किनका।
नयी कविता (1954 से अब तक)
1954 से नयी कविता का समय प्रारंभ होता है। कुछ लोग नयी कविता और प्रयोगवाद को एक ही मानते हैं जबकि जगदीश गुप्त के अनुसार प्रयोगवाद नयी कविता की भूमिका के रूप में प्रस्तुत हुआ हैं। स्वतंत्रता के बाद महानगरीय सभ्यता में नयी चेतना विकसित हुई। इस नये भाव बोध की अभिव्यक्ति नई कविता है।
नयी कविता आंदोलन को शुरू करने का श्रेय जगदीश प्रसाद गुप्त के संपादकत्व में निकलने वाली पत्रिका 'नयी कविता' को जाता है। नयी कविता का नायक 'लघु मानव' है।
नयी कविता की विशेषताएं
- अतीत को अस्वीकार
- राग संबंधों का क्षय
- अस्तित्ववाद का प्रभाव
- निराशा, अनास्था, कोई संकल्प नहीं
- आशा, आस्था और संकल्पशीलता
- व्यंग्य
- क्षणवाद
- नयी अलंकारों योजना
- बिम्ब योजना
- काव्य रूप प्रबंध और मुक्तक
नयी कविता के कवि
रघुवीर सहाय, अज्ञेय, भवानी प्रसाद मिश्र, गिरिजा कुमार माथुर, कीर्ति चौधरी, मुक्तिबोध, धर्मवीर भारती, केदारनाथ सिंह, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना।
प्रसिद्ध पंक्तियां -
लेकिन मुझे फेंक मत
इतिहास कि सामूहिक गति सहसा झूठी पड़ जाने पर
क्या जाने
सच्चाई टूटे हुए पहियों का आश्रय ले। (टूटा पहिया- धर्मवीर भारती)
(2) मैं यह तुम्हारा अश्वत्थामा हूं
शेष हूं अभी तक
जैसे रोगी मुर्दे के मुख में शेष रहता है
गंदा कफ बासी पीप के रूप में
शेष अभी तक में। (अंधा युग - धर्मवीर भारती)
(3) सांप!
तुम सभ्य हुए तो नहीं
नगर में बसना भी तुम्हें नहीं आया।
एक बात पूछूं (उत्तर दोगे)
तब कैसे सीखा डंसना
विष कहां पाया? (अज्ञेय)