खिलाफत आन्दोलन क्या था | Khilafat Movement in hindi

इस आर्टिकल में खिलाफत आन्दोलन क्या था (Khilafat Movement in hindi), खिलाफत आंदोलन कब शुरू हुआ, खिलाफत आंदोलन के कारण, खिलाफत आन्दोलन का स्वरूप, खिलाफत आन्दोलन किसने शुरू किया, खिलाफत आन्दोलन के उद्देश्य, खिलाफत आन्दोलन के प्रमुख नेता आदि टॉपिक पर चर्चा की गई है।

खिलाफत आंदोलन क्या था

ब्रिटेन की सरकार ने भारतीय मुसलमानों से विश्वासघात करते हुए प्रथम विश्वयुद्ध के बाद ट्रकी साम्राज्य को छिन्न-भिन्न कर दिया तथा खलीफा के पद पर ट्रकी के सुल्तान की जगह शेख हसन के दावों को स्वीकार कर लिया। ब्रिटेन के इस विश्वासघात से भारतीय मुसलमानों को तीव्र आघात पहुंचा और एक शक्तिशाली आंदोलन प्रारंभ हुआ जिसे खिलाफत आंदोलन कहा गया।

खिलाफत आंदोलन के क्या कारण थे

प्रथम महायुद्ध में ट्रकी अंग्रेजों के विरुद्ध जर्मनी के साथ था। अतः भारतीय मुसलमानों की यह आशंका थी कि युद्ध के बाद ब्रिटेन टर्की के विरुद्ध कार्यवाही करेगा।

युद्ध के दौरान भारतीय मुसलमानों का सहयोग प्राप्त करने की दृष्टि से ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि युद्ध समाप्ति के बाद ब्रिटेन ट्रकी के विरुद्ध प्रतिशोध की नीति नहीं अपनायेगा तथा उसके साम्राज्य को छिन्न-भिन्न नहीं होने देगा।

लेकिन युद्ध के बाद ब्रिटेन ने अपने आश्वासनों को पूरा नहीं किया और ट्रकी के साम्राज्य को न केवल छिन्न-भिन्न कर दिया बल्कि खलीफा के पद के लिए ट्रकी के सुल्तान के स्थान पर शेख हसन के दावों को स्वीकार किया गया और उसका प्रचार किया गया।

ब्रिटेन के इस विश्वासघात से भारतीय मुसलमानों को तीव्र आघात पहुंचा और एक शक्तिशाली खिलाफत आंदोलन प्रारंभ हुआ, जिसका लक्ष्य था – “लौकिक और आध्यात्मिक संस्था के रूप में खलीफा का अस्तित्व बनाए रखना।”

खिलाफत आन्दोलन का स्वरूप कैसा था

अगर देखा जाए तो ख़िलाफत आंदोलन का स्वरूप राजनीतिक कम तथा धार्मिक ही ज्यादा था। इसीलिए तुर्की के खलीफा की बहाली के लिए खिलाफत आंदोलन छेड़ा गया था।

तुर्की के खलीफा की बहाली के लिए छिड़े इस आंदोलन को गांधी जी ने तुरंत समर्थन दे दिया और देखते ही देखते आंदोलन का स्वरूप हिंदू विरोधी आंदोलन में तब्दील हो जाता है जिसके नतीजे हम मोपला विद्रोह में देखने को मिलते हैं।

गांधी जी खिलाफत आन्दोलन को समर्थन देकर हिंदू मुस्लिम एकता स्थापित करना चाहते थे परंतु सफलता नहीं मिली।

खिलाफत आन्दोलन किसने शुरू किया था

ख़िलाफ़त आन्दोलन की शुरुआत भारतीय मुस्लिमों के एक बहुसंख्यक वर्ग ने राष्ट्र स्तर पर किया था। 1918-19 के मध्य भारत में ख़िलाफ़त आन्दोलन मौलाना मुहम्मद अली, शौकत अली एवं अबुल कलाम आज़ाद के सहयोग से चलाया गया।

गाँधी जी ने 23 नवंबर 1919 को दिल्ली में अखिल भारतीय ख़िलाफ़त समिति का अधिवेशन स्वयं की अध्यक्षता में किया।

गाँधी जी के कहने पर एक शिष्टमण्डल, जिसके नेता डॉ. अन्सारी थे, वायसराय से मिलने के लिए इंग्लैण्ड गये थे। मार्च 1920 को इलाहाबाद में हिन्दुओं और मुस्लिमों की संयुक्त बैठक में असहयोग आंदोलन को चलाएं जाने का निर्णय लिया गया।

इस प्रकार असहयोग आंदोलन के शुरू होने के कारणों में से एक कारण खिलाफत आन्दोलन भी था।

प्रथम महायुद्ध के बाद इंग्लैंड और टर्की के बीच होने वाली सीवर्स की संधि से टर्की के सुल्तान के सारे अधिकार वापस ले लिए गये और टर्की राज्य छिन्न-भिन्न हो गया।

विश्व भर के मुस्लिम टर्की सुल्तान को अपना खलीफ़ा अर्थात धर्म गुरु मानते थे। इसलिए ब्रिटिश सरकार पर टर्की के साथ की जाने वाली संधियों में न्यायोचित व्यवहार अपनाने के लिए पर्याप्त दबाव डालने के उद्देश्य से भारतीय मुस्लिमों के बहुसंख्यक वर्ग ने राष्ट्र स्तर पर जिस आंदोलन का श्री गणेश किया, वह ख़िलाफ़त आंदोलन के नाम से जाना जाता है।

इस अवसर को हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए उपयुक्त समझते हुए महात्मा गांधी ने मुस्लिमों के प्रति सहानुभूति प्रकट की थी।

खिलाफत आन्दोलन के उद्देश्य

ख़िलाफ़त आन्दोलन 1919 से 1922 के मध्य भारत में मुख्य रूप से मुस्लिम बहुसंख्यक वर्ग द्वारा चलाया गया राजनीतिक-धार्मिक आन्दोलन था।

इस आन्दोलन का उद्देश्य मुस्लिमों के मुखिया माने जाने वाले टर्की के ख़लीफ़ा के पद की पुन: स्थापना कराने के लिये ब्रिटिश सरकार पर दबाव डालना था।

1924 में मुस्तफ़ा कमाल के ख़लीफ़ा पद को समाप्त किये जाने के बाद यह आंदोलन अपने-आप समाप्त हो गया। इस आंदोलन के मुख्य सूत्रधार उत्तर प्रदेश के अली बंधुओं को माना जाता है।

भारत में ख़िलाफत आंदोलन दिवस कब मनाया गया

प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद ब्रिटिश सरकार ने तुकी साम्राज्य का विघटन करने का फैसला लिया जिसके कारण भारत में ख़िलाफत अंदोलन प्रारंभ हुआ और 17 अक्टूबर 1919 को अखिल भारतीय स्तर पर खिलाफत दिवस मनाया गया और अंदोलन प्रारंभ हो गया। 10 अगस्त 1920 को संपन्न सिवर्स की संधि के बाद तुर्की का विभाजन हो गया।

खिलाफत आन्दोलन के प्रमुख नेता कौन थे

मौलाना मोहम्मद अली, शौकत अली (अली बंधु) और अबुल कलाम आजाद इस आंदोलन के प्रभावशाली प्रमुख नेता थे तथा इन्होंने ख़़िलाफत आंदोलन का नेतृत्व किया।

गांधी जी ने ख़िलाफत आंदोलन का समर्थन किया और हिन्दू मुस्लिम एकता को असहयोग आंदोलन का आधार बनाने का निश्चय किया।

गांधी जी ख़िलाफत आंदोलन के अध्यक्ष के रूप में नवम्बर 1919 में चुने गए। 31 अगस्त 1920 को ख़िलाफत समिति ने औपचारिक रूप से असहयोग आंदोलन की घोषणा की।

Also Read :

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  1. खिलाफत आंदोलन की शुरुआत कब और किसने की?

    उत्तर : ख़िलाफ़त आन्दोलन की शुरुआत भारतीय मुस्लिमों के एक बहुसंख्यक वर्ग ने राष्ट्र स्तर पर किया था। 1918-19 के मध्य भारत में ख़िलाफ़त आन्दोलन मौलाना मुहम्मद अली, शौकत अली एवं अबुल कलाम आज़ाद के सहयोग से चलाया गया।

  2. खिलाफत आंदोलन के क्या कारण थे?

    उत्तर : खिलाफत आंदोलन के कारण : तुर्की के खलीफा का अंग्रेजों द्वारा अपमान।
    लखनऊ समझौता तथा अलीबंधुओ द्वारा खिलाफत आंदोलन की शुरूआत साथ करना।
    भारत में मुसलमानों के द्वारा अंग्रेजों का विरोध।

  3. खिलाफत आंदोलन के प्रमुख नेता कौन थे?

    उत्तर : मौलाना मोहम्मद अली, शौकत अली (अली बंधु) और अबुल कलाम आजाद इस आंदोलन के प्रभावशाली प्रमुख नेता थे तथा इन्होंने ख़़िलाफत आंदोलन का नेतृत्व किया।

My name is Mahendra Kumar and I do teaching work. I am interested in studying and teaching competitive exams. My qualification is B.A., B.Ed., M.A. (Pol.Sc.), M.A. (Hindi).

Post a Comment