लोकतंत्र क्या है | लोकतंत्र के गुण और दोष

इस आर्टिकल में लोकतंत्र क्या है, लोकतंत्र का अर्थ एवं परिभाषा, लोकतंत्र की विशेषताएं, लोकतंत्र के गुण और दोष, लोकतंत्र का महत्व, लोकतंत्र की सफलता के लिए आवश्यक शर्तें आदि बिंदुओं पर चर्चा की गई है।

लोकतंत्र का अर्थ

लोकतंत्र को आधुनिक काल में शासन का सर्वश्रेष्ठ रूप माना जाता है। शाब्दिक उत्पत्ति की दृष्टि से डेमोक्रेसी शब्द यूनानी भाषा के डेमोस (Demos) और क्रेटिया (Cratia) से मिलकर बना है जिसका अर्थ है – लोग और शासन। इस प्रकार लोकतंत्र का शाब्दिक अर्थ है ‘जनता का शासन’।

जब समाज का बहुसंख्यक वर्ग शासन करता है साधारण भाषा में उसे लोकतंत्र कहते हैं। अरस्तू ने लोकतंत्र को एक विकृत शासन प्रणाली बताया था जिसमें बहुसंख्यक निर्धन वर्ग अपने वर्ग के हितों के लिए शासन करता है और भीड़तंत्र का रूप धारण कर लेता है। अरस्तू ने लोकतंत्र को Polity कहा है।

लोकतंत्र राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था का एक प्रकार ही नहीं है, वरन् यह तो जीवन के प्रति एक विशिष्ट दृष्टिकोण भी है। लोकतंत्र में सभी व्यक्तियों द्वारा दूसरे के प्रति वैसा ही व्यवहार किया जाना चाहिए जैसा व्यवहार वह अपने प्रति पसंद करता है।

विभिन्न विचारकों के अनुसार लोकतंत्र का अर्थ

संघर्षपूर्ण लोकतंत्रफिलिप पेटिट
संचरीय लोकतंत्रआइरिश मेरियन यंग
विमर्शी लोकतंत्रजॉन ड्राइजेक
तर्कबुद्धिवादी लोकतंत्रसिमोन चैम्बर्स
                                                             
लोकतंत्र का अर्थविचारक
ऐसी सरकार जिसमें जनता शक्तिशाली होपेरिक्लीज
बहुतों का शासनअरस्तू
जनता का, जनता के द्वारा, जनता के लिएअब्राहम लिंकन
जिसमें जनता की सहभागिता होसिले
राज्य की शासन शक्ति समुदाय में एक समष्टि के रूप में निहितब्राइस

लोकतंत्र की परिभाषा

लोकतंत्र के इतने रूप हैं कि इसकी एक निश्चित परिभाषा देना कठिन है। अतः समय, परिस्थितियों तथा विभिन्न हितों की आवश्यकता के अनुसार विभिन्न युगों के विचारकों ने लोकतंत्र की विभिन्न परिभाषाएं दी हैं।

यूनानी दार्शनिक वलीआन के अनुसार, “लोकतंत्र वह होगा जो जनता का, जनता के द्वारा हो, जनता के लिए हो।”

अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने इस परिभाषा को इस प्रकार दोहराया है, “लोकतंत्र जनता का, जनता के लिए तथा जनता द्वारा शासन है।”

लॉर्ड ब्राइस, “प्रजातंत्र वह शासन प्रणाली है जिसमें की शासन शक्ति एक विशेष वर्ग या वर्गों में निहित ना रहकर समाज के सदस्य में निहित होती है।”

सिले, “प्रजातंत्र वह शासन है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति का भाग होता है।”

ऑस्टिन, “प्रजातंत्र वह शासन व्यवस्था है जिसमें जनता का अपेक्षाकृत बड़ा भाग शासक होता है।”

सारटोरी, “लोकतंत्रीय व्यवस्था वह है जो सरकार को उत्तरदायी तथा नियंत्रणकारी बनाती हो तथा जिसकी प्रभावकारिता मुख्यत: इसके नेतृत्व की योग्यता तथा कार्यक्षमता पर निर्भर है।”

जॉनसन, “प्रजातंत्र शासन का वह रूप है जिसमें प्रभुसत्ता जनता में सामूहिक रूप से निहित हो।”

लावेल के अनुसार, “लोकतंत्र शासन के क्षेत्र में केवल एक प्रयोग है।”

लोकतंत्र की विशेषताएं

  • जनता की इच्छा सर्वोच्च है।
  • जनता के द्वारा चुनी गयी प्रतिनिधि सरकार।
  • निष्पक्ष तथा समयबद्ध चुनाव।
  • व्यस्क मताधिकार।
  • उत्तरदायी सरकार।
  • समिति तथा संवैधानिक सरकार।
  • सरकार के निर्णयों में सलाह, दबाव तथा जनमत द्वारा जनता का हिस्सा।
  • जनता के अधिकार तथा स्वतंत्रता की रक्षा सरकार का कर्तव्य होना।
  • निष्पक्ष न्यायपालिका तथा विधि का शासन
  • विभिन्न राजनीतिक दलों तथा दबाव समूह की उपस्थिति।
  • बहुमत द्वारा निर्णय।

लोकतंत्र के गुण

जॉन स्टूअर्ट मिल ने प्रजातंत्र को सर्वश्रेष्ठ कोटि का शासन बताया है। अपने सुप्रसिद्ध ग्रंथ ‘रिप्रेजेंटेटिव गवर्नमेंट’ में मिल ने लोकतंत्र के समर्थन में इस तर्क को प्रस्तुत किया है कि किसी भी सरकार के गुण दोषों का मूल्यांकन करने के लिए दो मापदंडों की आवश्यकता है।

प्रजातंत्र की पहली कसौटी यह है कि क्या सरकार का शासन उत्तम है अथवा नहीं ? उसकी दूसरी कसौटी यह है कि उसके शासन का प्रजा के चरित्र निर्माण पर अच्छा अथवा बुरा प्रभाव पड़ता है।

प्रजातंत्र दोनों आधार पर श्रेष्ठ शासन सिद्ध होता है। मिल की दृष्टि में लोकतंत्र में नागरिकों के चरित्र निर्माण की संभावनाएं अधिक रहती है।

1. उच्च आदर्शों पर आधारित : जैसे लोकतंत्र स्वतंत्रता, समानता तथा भातृत्व के आदर्शों पर आधारित होता है।

2. जनकल्याण पर आधारित : लोकतंत्र में प्रभुसत्ता अंततः जनता में निहित होती है, अत: इसमें जनता के कल्याण का पूरा ध्यान रखा जाता है।

3. लोकमत पर आधारित : लोकतंत्र लोकमत पर आधारित होता है। चुनाव के समय प्रशासकों एवं राजनीतिक दलों को जनता की बात सुननी पड़ती है और जनता को अधिकार होता है कि उसके हित का ध्यान न रखने वाले दल व प्रतिनिधियों को निर्वाचित करने से इंकार कर दे।

4. सार्वजनिक शिक्षण : लोकतंत्र राजनीतिक प्रशिक्षण का उत्तम साधन है। भाषण व समाचार पत्रों की जन साधारण में विचार विनिमय की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करती है। एक चुनाव से दूसरे चुनाव के मध्य सभी राजनीतिक दलों द्वारा जनता को राजनीतिक शिक्षा प्रदान करते रहते हैं।

5. क्रांति से सुरक्षा : लोकतंत्र के अंतर्गत क्रांति की संभावना अत्यंत कम हो जाती है। यदि शासक वर्ग अत्याचारी अथवा निकम्मा हो तो उसको हटाने के लिए सशस्त्र विद्रोह की आवश्यकता नहीं होती। यदि बहुसंख्यक जनता उससे असंतुष्ट हो तो वह उसे सफलतापूर्वक वैधानिक उपायों से हटा सकती है।

6. परिवर्तनशील शासन व्यवस्था : लोकतंत्र एक ऐसा प्रयोग है जिसमें शासन प्रणाली को तब तक बदलते रहने की छूट है जब तक वह लोकतंत्र के अनुकूल न हो जाए। इसमें शासन ऊपर से लादा नहीं जाता वरन् विकसित किया जाता है। इसमें निर्वाचनों के माध्यम से सरकार बदलती रहती है।

इस प्रकार यह एक गत्यात्मक शासन प्रणाली है। इसमें शांतिपूर्वक परिवर्तन या संशोधन किए जा सकते हैं और प्रगति सरलता से हो सकती है।

7. देश प्रेम की भावना का विकास : लोकतंत्र के अंतर्गत देश प्रेम की भावना का विकास होता है। चूंकि जनता स्वयं देश की सर्वे सर्वा होती है इसलिए वह राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत रहती है।

8. जनता में आत्मविश्वास एवं उत्तरदायित्व की भावना का विकास : लावेल ने कहा है कि, “वही सरकार सर्वोत्तम है जो मनुष्य की नैतिकता, साहस, आत्मबोध व पवित्रता को दृढ़ बनाए।”

लोकतंत्र के दोष

1. लोकतंत्र अयोग्य लोगों का शासन है : प्लेटो, हेनरी मेन, लेकी आदि ने इसी आधार पर प्रजातंत्र की निंदा की है। क्योंकि यह योग्य तथा मूर्खों को शासन में एक साथ भाग लेने का अवसर प्रदान करता है।

हेनरी मेन ने प्रजातंत्र को अयोग्य तथा मंदबुद्धि व्यक्तियों का शासन’ कहा है। कार्लाइल ने प्रजातंत्र को ‘मूर्खों का शासन’ तथा संसद को ‘बातों की दुकान’ कहा है तथा लेकी ‘अयोग्यता का पोषक’ कहते हैं। गांधीजी ने संसद को ‘बांझ महिला’ की संज्ञा दी है। लुडोविकी ने कहा है कि प्रजातंत्र का अर्थ है मौत जबकि कुलीनतंत्र का अर्थ है जीवनहेनरी मेन प्रजातंत्र को भंजन शील बताया जो शासन के सभी रूपों को अनुरक्षित बना देता है। बार्कर ने प्रजातंत्र की दुर्बलता का कारण थोड़े से तिकड़म बाज लोगों की भूमिका में खोजा।

प्लेटो का मत था कि शासन संचालन एक कला है और केवल ज्ञानी व्यक्ति ही शासक बनना चाहिए। अरस्तु का विचार था कि केवल कुछ लोगों में ही शासन करने की क्षमता रहती है। इसके प्रतिकूल लोकतंत्र विशेषज्ञों की उपेक्षा करता है।

लोकतंत्र में कोई डॉक्टर, वित्त मंत्री बन जाता है और कोई अशिक्षित, शिक्षा मंत्री। इसलिए कतिपय आलोचकों ने इसे ‘अयोग्यता का शासन’ कहां है।

2. प्रजातंत्र गुणों पर नहीं बल्कि संख्या पर बल देता है : यही कारण है कि प्रजातंत्र को अज्ञानियों का शासन कहा गया है।

3. लोकतंत्र योग्य और अयोग्य में भेद नहीं करता : लोकतंत्र में सभी व्यक्तियों के मताधिकार को समान दृष्टि से देखा जाता है। लेकिन ऐसी समानता न तो व्यवहारिक और बुद्धिसंगत है और ना ही प्रकृति की व्यवस्था के अनुकूल है। प्रकृति ने मनुष्य को बुद्धि, विद्या, चरित्र अथवा सूझबूझ आदि में असमान बनाया है, किंतु लोकतंत्र प्रकृति के इस नियम को भूलकर एक अशिक्षित एवं एक महान विचारक को समान धरातल पर खड़ा करने का व्यर्थ प्रयास करता है।

एक श्रेष्ठ वैज्ञानिक को अनपढ़ श्रमिक के बराबर मानना और उन दोनों के मतों को समान स्वीकार करना अनुचित एवं प्रकृति के न्याय के विरुद्ध है।

आलोचकों का कहना है कि इस शासन प्रणाली में वोटों को तोला नहीं, गिना जाता है। इसमें अयोग्य व्यक्तियों का बहुमत, योग्य व्यक्तियों के अल्पमत पर शासन करता है।

हर्नाशॉ ने लिखा है, “लोकतंत्र के नेताओं की स्थिति उन स्कूल मास्टरों जैसी होती है जिनकी नियुक्ति विद्यार्थियों की इच्छा से की जाती है और उन्हें विद्यार्थियों की इच्छा से हटाया भी जा सकता है।”

4. बहुमत द्वारा निर्णय युक्तिसंगत नहीं : बहुमत सदैव सत्य अथवा सही होगा मान्य नहीं हो सकता। आखिर सुकरात जैसे मनीषि को बहुमत के निर्णय ने ही विषपान करवाया था।जॉन स्टुअर्ट मिल की मान्यता है कि बहुमत अपनी संख्या बल पर अल्पमत को उसकी इच्छा के विरुद्ध कार्य करने के लिए मजबूर करता है।

अतः बहुमत का शासन बहुमत का अत्याचार बन जाता है। बहुमत का शासन संख्या की दृष्टि से भले ही ठीक दिखे किंतु व्यवहार में अज्ञानपूर्ण और अकुशल होता है।

5. पेशेवर राजनीतिज्ञों का बाहुल्य : लोकतंत्र के शासन में कुछ लोग राजनीति को अपना पेशा बना लेते हैं और जैसे भी संभव हो अपने पद से चिपके रहने का प्रयत्न करते हैं। अपनी भाषण शक्ति से जनता को प्रभावित कर निर्वाचित हो जाते हैं, किंतु उनमें इतनी योग्यता नहीं होती कि वे देश की उन्नति के लिए रचनात्मक कार्य कर सके। अतः उनसे लोकहित की आशा करना व्यर्थ है।

6. उग्र दलबंदी : लोकतंत्र का आधार दलीय प्रणाली है। अतः लोकतंत्र दलीय दुर्गुणों से अपने आप को मुक्त नहीं कर पाता। प्राय: सत्ताधारी व्यक्ति राष्ट्रीय हितों और दलीय हितों के संघर्ष में दलीय हितों को प्राथमिकता देते हैं।

7. खर्चीला शासन : लोकतंत्र एक खर्चीली व्यवस्था है। निर्वाचन में काफी धन का अपव्यय होता है। फिर विधायकों मंत्रियों आदि पर भी काफी धन खर्च होता है।

8. संकट काल के लिए अनुपयुक्त : संकटकालीन स्थिति में लोकतंत्र शासन बेकार सिद्ध होता है। लोकतंत्र का सबसे बड़ा दोष है कि संकटकाल में न तो शीघ्र निर्णय लिए जा सकते हैं और न शीध्रता से उन्हें क्रियान्वित किया जा सकता है।

9. अंग्रेज इतिहासकार लेकी ने लोकतंत्र की आलोचना करते हुए कहा की प्रबलतम लोकतांत्रिक प्रवृतियां स्वतंत्रता विरोधी होती हैं। लोकतंत्र में स्वतंत्रता संभव नहीं है और यदि संभव है भी तो इससे व्यक्तियों में उच्छृखलता उत्पन्न हो जाती है।

इसी उच्छृखलता के मद्देनजर प्लेटो ने व्यंग्य ढंग से कहा था कि प्रजातंत्र में मनुष्य तो क्या कुत्ते भी और अधिक जोर से भोंकते हैं।

लेकी का मानना है कि प्रजातंत्र भीड़ का शासन है जो निरंकुश और अत्याचार शासन में बदल जाता है। बहुसंख्यक दल अल्पमत पर अत्याचारी तरीके से इस भांति शासन करता है कि इसके सामने निरंकुश शासकों के अत्याचार भी फीके लगते हैं। इसमें संख्या को महत्व दिया जाता है, थोड़े से प्रतिभाशाली व्यक्तियों की बुद्धि, योग्यता अथवा चरित्र को नहीं।

लोकतंत्र की सफलता के लिए आवश्यक शर्तें

* प्रजातंत्र की सफलता में सबसे महत्वपूर्ण बाधा अशिक्षा है। अतः प्रजातंत्र की सफलता के लिए आवश्यक है कि नागरिक शिक्षित, जागरूक तथा राजनीतिक जीवन में रुचि रखने वाला हो।

* प्रजातंत्र तभी सार्थक रूप से कार्य कर सकता है जब देश में शांति और सुव्यवस्था का वातावरण हो।

* लोकतंत्र की सफलता के लिए आर्थिक समानता और सामाजिक न्याय की स्थापना आवश्यक है। जनता की न्यूनतम आवश्यकताएं पूरी होनी चाहिए ताकि वे बिना किसी दबाव के शासन के कार्यों में भाग ले सकें।

* निर्वाचन समयबद्ध एवं निष्पक्ष होने चाहिए।

* लोकतंत्र की सफलता के लिए सामाजिक स्तर पर विशेष अधिकारों की समाप्ति होना आवश्यक है।

* प्रजातंत्र की रक्षा एवं सफल संचालन हेतु निष्पक्ष न्यायपालिका होना अति आवश्यक है। स्वतंत्र न्यायपालिका लोकतंत्र की रीढ़ है।

* प्रजातंत्र की सफलता के लिए आवश्यक है कि जनमत निर्माण के साधन जैसे समाचार पत्र, पत्रिकाएं, सभा, संगठन आदि पर किसी वर्ग विशेष का अधिकार ना हो। इस प्रकार स्वतंत्र और ईमानदार प्रेस के माध्यम से जनता और शासन के बीच स्वस्थ संबंध कायम किए जा सकते हैं।

* स्थानीय स्वशासन का विकास लोकतंत्र सफलता के लिए आवश्यकता है। स्थानीय स्वशासन लोकतंत्र की प्राथमिक पाठशाला है।

* प्रजातंत्र के कट्टर आलोचक लेकी तथा हेनरी मेन ने बहुतों के शासन को सीमा के भीतर रखने के लिए ‘लिखित संविधान’ के होने का सुझाव दिया है।

* लोकतंत्र की सफलता के लिए आवश्यक है की प्रभावशाली विरोधी दल हो। शक्तिशाली और प्रभावशाली विरोधी दल के अभाव में लोकतंत्रात्मक सरकार निरंकुश और लापरवाह हो जाती है तथा अपनी सत्ता का दुरुपयोग करने लगती है।

लोकतंत्र का महत्व

लोकतंत्रात्मक शासन (Democrats Governance) की अनेक आलोचनाओं व दोषों के होते हुए भी लोकतंत्र का अपना महत्व है।

  • लोगों की जरूरत के अनुरूप आचरण करने के मामले में लोकतांत्रिक शासन प्रणाली किसी अन्य शासन प्रणाली से बेहतर है।
  • लोकतांत्रिक शासन पद्धति दूसरों से बेहतर है क्योंकि यह शासन का अधिक जवाबदेही वाला स्वरूप है।
  • लोकतंत्र बेहतर निर्णय देने की संभावना बढ़ाता है।
  • लोकतंत्र मतभेदों और टकराव को संभालने का तरीका उपलब्ध कराता है।
  • लोकतंत्र नागरिकों का सम्मान बढ़ाता है।
  • लोकतांत्रिक व्यवस्था दूसरों से बेहतर है क्योंकि इसमें हमें अपनी गलती ठीक करने का अवसर मिलता है।

Also Read :

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  1. एक उत्तम लोकतांत्रिक व्यवस्था में क्या विशेषताएं होती है?

    उत्तर : एक उत्तम लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता के द्वारा चुनी गयी प्रतिनिधि और उत्तरदायी सरकार, निष्पक्ष तथा समयबद्ध चुनाव, जनता के अधिकार तथा स्वतंत्रता की रक्षा सरकार का कर्तव्य होना, निष्पक्ष न्यायपालिका तथा विधि का शासन, बहुमत द्वारा निर्णय आदि विशेषताएं होती है।

  2. प्रजातंत्र के कट्टर आलोचक माने जाते हैं?

    उत्तर : प्रजातंत्र के कट्टर आलोचक लेकी तथा हेनरी मेन है।

  3. किसने कहा की प्रजातंत्र में मनुष्य तो क्या कुत्ते भी और अधिक जोर से भोंकते हैं?

    प्लेटो ने कहा था की प्रजातंत्र में मनुष्य तो क्या कुत्ते भी और अधिक जोर से भोंकते हैं।

  4. प्रजातंत्र को अयोग्य तथा मंदबुद्धि व्यक्तियों का शासन’ किसने कहा था?

    उत्तर : हेनरी मेन ने प्रजातंत्र को ‘अयोग्य तथा मंदबुद्धि व्यक्तियों का शासन’ कहा है।

My name is Mahendra Kumar and I do teaching work. I am interested in studying and teaching competitive exams. My qualification is B.A., B.Ed., M.A. (Pol.Sc.), M.A. (Hindi).

Post a Comment