Search Suggest

राजनीतिक संस्कृति क्या है

आर्टिकल में आधुनिक राजनीतिक अवधारणा के अंतर्गत राजनीतिक संस्कृति क्या है, राजनीतिक संस्कृति का अर्थ एवं परिभाषाएं, राजनीतिक संस्कृति का महत्व, राजनीतिक संस्कृति की प्रमुख विशेषताएं आदि टॉपिक पर चर्चा की गई है।

राजनीतिक संस्कृति से आप क्या समझते हैं

द्वितीय महायुद्ध के पश्चात विश्व राजनीति एवं राजनीतिक व्यवस्था में व्यापक परिवर्तन हुए हैं। इन परिवर्तनों एवं राजनीतिक विकास को ठीक ढंग से समझने के लिए अनेक नवीन दृष्टिकोणों, सिद्धांतों, मान्यताओं और अवधारणाओं का प्रतिपादन किया गया है। राजनीतिक संस्कृति भी इनमें से एक है।

इस प्रकार राजनीति विज्ञान में राजनीतिक संस्कृति एक नवीन अवधारणा है। आमण्ड ने राजनीतिक संस्कृति शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग अपने निबंध कंपैरेटिव पॉलीटिकल सिस्टम 1956 में किया था।

राजनीतिक संस्कृति का महत्व

विकासशील राज्यों के उदय के पश्चात राजनीति में उभरती हुई नवीन चुनौतियां, लोकतंत्र विकास, तानाशाही, सर्वसत्तावाद और विशेषकर साम्यवादी प्रवाह को समझने में पुर्व में प्रचलित सिद्धांत पर्याप्त नहीं थे। विभिन्न देशों में एक जैसी संविधानिक एवं राजनीतिक संस्थाओं के बावजूद उनका राजनीतिक व्यवहार एक जैसा नहीं था।

उदाहरण के लिए ब्रिटेन और भारत दोनों में संसदीय शासन प्रणाली है किंतु दोनों के राजनीतिक व्यवहार में विविधता पाई जाती है। इसी तरह साम्यवादी देशों में सांविधानिक व्यवस्थाएं और राजनीतिक संस्थाएं साम्यवादी विचारधारा पर आधारित होते हुए उनके राजनीतिक व्यवहार में विभिन्नता पाई जाती है। विभिन्न देशों की सांविधानिक व्यवस्थाओं और राजनीतिक संस्थाओं में पाए जाने वाले राजनीतिक व्यवहार की विभिन्नताओं को समझने के लिए राजनीतिक संस्कृति के अध्ययन पर बल दिया जाने लगा।

राजनीतिक संस्कृति उपागम की आवश्यकता को निम्नानुसार व्यक्त किया जा सकता है –

* राजनीतिक व्यवस्थाओं की गत्यात्मक शक्तियों को समझने के लिए उनसे संबंधित राजनीतिक संस्कृति को समझना आवश्यक है।

* राजनीतिक संस्कृति के अध्ययन के द्वारा ही राजनीतिक अध्ययन को वास्तविक बनाया जा सकता है जैसे राजनीतिक विकास के बारे में वास्तविक ज्ञान राजनीतिक संस्कृति के अध्ययन द्वारा ही संभव है।

* राजनीतिक एवं राजनीतिक व्यवहार को समझने के लिए राजनीतिक संस्कृति का अध्ययन आवश्यक है।

* राजनीतिक व्यवस्थाओं की तुलना एवं राजनीतिक व्यवस्थाओं के बारे में सामान्यीकरण करने के लिए राजनीतिक संस्कृति का अध्ययन आवश्यक हो गया।

राजनीतिक संस्कृति का अर्थ एवं परिभाषा

राजनीति और संस्कृति की संकल्पनाएं बहुत पुरानी है परंतु राजनीतिक संस्कृति की संकल्पना नवीन है। राजनीतिक संस्कृति मूलतः संस्कृति के एक आयाम को देखती है जिसका संबंध राजनीति से है। इसमें यह अर्थ निहित है कि किसी समुदाय की संस्कृति को समझकर उसकी राजनीति को समझना सरल है।

किसी राजनीतिक समुदाय की राजनीतिक संस्कृति उस समुदाय की सामान्य सांस्कृतिक व्यवस्था का भाग है किंतु यह उससे स्वायत्तता भी रखती है। सामान्य संस्कृति की तरह ही राजनीतिक संस्कृति भी राजनीतिक समाजीकरण के माध्यम से संप्रेषित अथवा स्थानांतरित होती है।

इस तरह यह सीखा हुआ राजनीतिक व्यवहार होता है जो व्यक्तियों या समूहों में सामाजिक परिवर्तन अथवा सांस्कृतिक संघर्ष की चुनौतियां या नई परिस्थितियों के अनुकूल बनने की प्रक्रिया से निर्मित होता है।

राजनीतिक संस्कृति में अनेक अवधारणाएं शामिल हैं। जैसे राष्ट्रीय लोकाचार व भावना, राजनीतिक विचारवाद, जनता के आधारभूत नैतिक मूल्य तथा राष्ट्रीय मनोविज्ञान। विशुद्ध आनुभविक दृष्टि से राजनीतिक संस्कृति का सर्वप्रथम प्रयोग आमण्ड और पॉवेल द्वारा विकासशील देशों के अध्ययन के लिए किया गया।

राजनीतिक संस्कृति के लिए विभिन्न विद्वानों के द्वारा प्रयुक्त शब्द –

  • आमण्ड के द्वारा – ‘कार्य के प्रति अभिमुखीकरण’
  • बीयर के द्वारा – ‘राजनीतिक संस्कृति’
  • ईस्टर्न के द्वारा – ‘पर्यावरण’
  • स्पीरो के द्वारा – ‘राजनीतिक शैली’
  • लुसियन पाई के द्वारा – मनोवृत्तियों, विश्वासों और मनोभावों का संकलन
  • सिडनी वर्बा के द्वारा – आनुभविक विश्वास, अभिव्यक्ति के प्रतीक और उन मूल्यों की व्यवस्था

इन सब में राजनीतिक संस्कृति शब्द ही सर्वाधिक उपयुक्त है।

राजनीतिक संस्कृति की परिभाषाएं

आमण्ड और पॉवेल के अनुसार, “राजनीतिक संस्कृति किसी राजनीतिक व्यवस्था के सदस्यों के राजनीति के प्रति वैयक्तिक अभिवृत्तियों एवं अभिमुखीकरणों के प्रतिमान हैं।”

सिडनी वर्बा ने राजनीतिक संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए व्यापक परिभाषा दी है – “राजनीतिक संस्कृति में आनुभविक विश्वासों, अभिव्यक्तात्मक प्रतीकों और मूल्यों की व्यवस्था सन्निहित है जो उस परिस्थिति अथवा दशा को परिभाषित करती है जिसमें राजनीतिक क्रिया संपन्न होती है।”

ल्यूशियन पाई के अनुसार, “राजनीतिक संस्कृति अभिवृत्तियों, विश्वासों तथा मनोभावों का ऐसा पुंज है जो राजनीतिक क्रिया को अर्थ एवं व्यवस्था प्रदान करता है तथा राजनीतिक व्यवस्था में व्यवहार को नियंत्रित करने वाली अंतर्निहित पूर्व धारणाओं तथा नियमों को बनाता है।”

नोट : पॉलीटिकल कल्चर एंड पॉलीटिकल डेवलपमेंट पुस्तक के लेखक ल्यूशियन पाई एवं सिडनी वर्बा हैै।

एलन बाल के शब्दों में, “राजनीतिक संस्कृति उन अभिवृत्तियों, विश्वासों, भावनाओं और समाज के मूल्यों से मिलकर बनती है जिनका संबंध राजनीतिक पद्धति या राजनीतिक प्रश्नों से होता है।”

एस पी वर्मा के अनुसार, “राजनीतिक संस्कृति में न केवल राजनीति के प्रति दृष्टिकोण, राजनीतिक मूल्य, विचारधाराएं, राष्ट्रीय चरित्र और सांस्कृतिक प्रवृतियां सम्मिलित है वरन इसमें राजनीति की शैली, पद्धति और रूप भी सम्मिलित है।”

हींज यूलाऊ के अनुसार, “राजनीतिक संस्कृति उन रूपों की ओर संकेत करती है जिसका पूर्वानुमान समूहों के राजनीतिक व्यवहार से तथा एक समूह के सदस्यों के सामंजस्य, विश्वासों, नियामक सिद्धांतों, उद्देश्यों और मूल्यों में लगाया जा सकता है, चाहे समूह का आकार कुछ भी क्यों न हो।”

टालकॉट पारसन्स के अनुसार, “राजनीतिक संस्कृति का संबंध राजनीतिक लक्ष्यों के प्रति व्यक्त की जाने वाली प्रतिक्रियाओं के अभिविन्यास से है।”

प्रो सी बी गेना के अनुसार, “राजनीतिक संस्कृति एक निश्चित और सीमित अवधारणा है जो सामान्य संस्कृति से संबंधित और प्रभावित रहते हुए भी उससे कुछ स्वायत्तता रखती है। संक्षेप में यह राजनीति के प्रति लोगों की धारणाओं और अभिवृत्तियों का नाम है।

उपरोक्त परिभाषाओं स्पष्ट है कि राजनीतिक संस्कृति व्यवस्था के सदस्यों में राजनीति के प्रति वैयक्तिक अभिवृत्तियों और अभिमुखीकरणों का प्रतिमान है। राजनीतिक व्यवस्था तथा राजनीतिक मुद्दों से संबंधित सामाजिक दृष्टिकोणों, विश्वासों, और मूल्यों से राजनीतिक संस्कृति का निर्माण होता है।

राजनीतिक संस्कृति की प्रमुख विशेषताएं

राजनीतिक संस्कृति सामान्य संस्कृति का ही एक भाग होती है। एक व्यक्ति अथवा संपूर्ण समाज के राजनीतिक व्यवस्था के प्रति जो आग्रह होते हैं उन्हें ही सामूहिक रूप से राजनीतिक संस्कृति कहा जाता है। एक राजनीतिक व्यवस्था की राजनीतिक संस्कृति अन्य राज्यों की राजनीतिक संस्कृति से भिन्न होती है किंतु राजनीतिक संस्कृति की भिन्नता मात्रात्मक होती है प्रकारात्मक नहीं।

मुख्य रूप से राजनीतिक संस्कृति के लक्षण या विशेषताएं निम्न हैं –

(1) राजनीतिक संस्कृति अमूर्त नैतिक अवधारण है

राजनीतिक संस्कृति का मूल आधार व्यक्ति और समाज के मूल्य और विश्वास होते हैं। ये मूल्य और विश्वास सामान्य नैतिक धारणाओं के अंग होते हैं और इन्हें अन्य भौतिक तत्वों की भांति कोई मूर्त स्वरूप प्राप्त नहीं है। इन्हें तो केवल समझा और अनुभव किया जा सकता है।

(2) राजनीतिक संस्कृति अनेक तत्वों का सामूहिक एवं समन्वित रूप है

राजनीतिक संस्कृति सामान्य संस्कृति का एक अंग है और सामान्य संस्कृति के ही समान अनेक तत्वों का सामूहिक एवं समन्वित रूप है। ऐतिहासिक विरासत, भौगोलिक परिस्थितियां, समाज की सामान्य संस्कृति, विचारधाराएं, राजनीतिक व्यवस्था तथा सामाजिक आर्थिक संरचना आदि राजनीतिक संस्कृति के आधार होते हैं।

(3) आनुभविक आस्थाएं एवं विश्वास

आनुभविक आस्थाएं और विश्वासों का संबंध व्यक्ति की राजनीतिक विषय के बारे में समझ से होता है अर्थात इसका संबंध इस बात से होता है कि व्यक्ति राजनीतिक व्यवस्था, राजनीतिक संस्थाओं, संरचनाओ और प्रक्रियाओं के बारे में स्वयं किस प्रकार के विश्वास रखता है जिससे राजनीतिक व्यवस्था के प्रति व्यक्ति की अभिरुचि उदासीनता अथवा अलगाव का ज्ञान होता है।

यदि कोई मतदाता यह विश्वास रखने लग जाए कि उसके मत देने से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा तो वह मत देने ही नहीं जाएगा। व्यक्ति का अनुभव और उसकी आस्थाओं से ही शासकों के प्रति संबंधों का निर्धारण होता है।

अगर व्यक्ति राजनीतिक व्यवस्था के संचालकों एवं संस्थाओं को भ्रष्टाचार एवं शोषण का केंद्र मानता है तो राजनीतिक व्यवस्था से अलगाव की भावना का निर्माण होगा।

इस प्रकार कहा जा सकता है कि व्यक्ति की आस्थाएं और अनुभव भ्रम पूर्ण हो अथवा सही, राजनीतिक संस्कृति के प्रमुख लक्षण माने जाते हैं। विशेषकर विगत कुछ वर्षों में नव स्वतंत्र एवं विकासशील राज्यों की राजनीतिक व्यवस्था के बारे में लोगों की आस्थाओं, विश्वासों के परिवर्तन राजनीतिक संस्कृति और अंततः राजनीतिक व्यवस्था में परिवर्तन का आधार बन गई हैं।

(4) मूल्य अभिरुचियां

मूल्य अभिरुचियां को मूल्य पसंदगियां भी कहा जाता हैै। यह व्यक्तिगत सद्गुण व सार्वजनिक लक्ष्य है जिन्हें कोई राजनीतिक समाज प्राप्त करना चाहता है।

इसका तात्पर्य है कि राजनीतिक समाज के व्यक्ति स्वयं अपने लिए और संपूर्ण समाज के लिए किस प्रकार की मूल्य व्यवस्था में रुचि रखते हैं।

विभिन्न राजनीतिक समाजों के लोगों की मूल्य अभिरुचियां भिन्न भिन्न हो सकती हैं।

उदाहरण के लिए किसी राजनीतिक समुदाय में व्यक्तियों की अभिरुचि कानून व्यवस्था और स्थायित्व में हो सकती है तो किसी अन्य समाज में सामाजिक न्याय, स्वतंत्रता और समानता को केवल हिंसा और अराजकता की स्थिति में ही लोग चाह सकते हैं।

कोई राजनीतिक समाज ऐसा हो सकता है जिसमें लोगों की अभिरुचि शासन के लोकतांत्रिक अथवा तानाशाही स्वरूप एवं साधनों की पवित्रता के स्थान पर तीव्र आर्थिक एवं सामाजिक विकास प्राप्त करने में हो सकती है।

जब नागरिकों की मूल्य व्यवस्था और शासकों की मूल्य अभिरुचियां अलग अलग हो जाती है तो राजनीतिक व्यवस्था संकट के फंदे में फंस जाती है।

(5) प्रभावात्मक अनुक्रियाएं

प्रभावी अनुक्रियाओं से तात्पर्य राजनीतिक वस्तुओं, संस्थाओं और प्रक्रियाओं के प्रति अनुकूल मनोभाव है। राजनीतिक संस्थाओं, प्रक्रियाओं और व्यवस्थाओं पर लोगों की प्रभावी अनुक्रियाएं ही राजनीतिक संस्कृति का स्वरूप एवं प्रकृति का निर्धारण करती है।

जैसे किसी एक राजनीतिक समाज के लोगों में अपने राष्ट्र एवं व्यवस्था के प्रति गर्व का भाव हो सकता है तो अन्य राजनीतिक समाज के लोगों में इसके प्रति निराशा अथवा घृणा हो सकती है। किसी देश में दबाव समूह एवं हित समूह सम्मान की दृष्टि से देखे जाते हैं तो अन्य देशों में इन्हें हीन भावना से देखा जा सकता है।

किसी राजनीतिक व्यवस्था में कोई एक लक्षण प्रभावी होता है तो अन्य राजनीतिक व्यवस्था में अन्य लक्षण प्रभावी हो सकता है। क्योंकि राजनीतिक संस्कृति में केवल राजनीतिक अभिवृत्तियों, राजनीतिक मूल्य, विचारधाराएं, राष्ट्रीय चरित्र और सांस्कृतिक लोकाचार ही सम्मिलित नहीं होता है अपितु राजनीति की शैली, ढंग और तथ्यात्मक ढांचा भी सम्मिलित रहता है।

यही कारण है कि नव स्वतंत्र देशों की एक जैसी पृष्ठभूमि होने के बावजूद भी राजनीतिक संस्कृति में महत्वपूर्ण अंतर पाया जाता है। जैसे भारत और दक्षिण एशिया के अन्य देशों की राजनीतिक संस्कृति में व्यापक एवं महत्वपूर्ण अंतर पाया जाता है। ब्रिटिश और भारत की राजनीतिक संस्कृति परंपरा तथा आधुनिकता का मिश्रण है।

(6) राजनीतिक संस्कृति में गतिशीलता होती है।

Also Read :

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  1. राजनीतिक संस्कृति की अवधारणा किसने दी है?

    उत्तर : विकासशील देशों के सन्दर्भ में राजनीतिक संस्कृति की अवधारणा सर्वप्रथम आमण्ड और पॉवेल ने प्रस्तुत की थी। राजनीतिक संस्कृति की परिभाषा देते हुए आमण्ड और पावेल ने लिखा है, “राजनीतिक संस्कृति किसी राजनीतिक व्यवस्था के सदस्यों के राजनीति के प्रति वैयक्तिक अभिवृत्तियों एवं अभिमुखीकरणों के प्रतिमान हैं।”

  2. किस विचारक ने राजनीतिक संस्कृति को कार्य के प्रति अभिमुखीकरण कहां है?

    उत्तर : राजनीतिक संस्कृति को आमण्ड ने कार्य के प्रति अभिमुखीकरण कहा है।

  3. किस विचारक ने राजनीतिक संस्कृति को राजनीतिक शैली कहां है?

    उत्तर : स्पीरो ने राजनीतिक संस्कृति को राजनीतिक शैली कहां है।

  4. भारत में कौन सी राजनीतिक संस्कृति पाई जाती है?

    उत्तर : ब्रिटेन तथा भारत में मिश्रित राजनीतिक संस्कृति पाई जाती है। क्योंकि यहां परम्परा व आधुनिकता का सुन्दर मिश्रण है।

  5. राजनीतिक संस्कृति के मुख्य विचारक कौन-कौन से हैं?

    उत्तर : राजनीतिक संस्कृति के मुख्य विचारक सिडनी बर्वा, आमण्ड एवं पॉवेल, एलेन बॉल, ल्यूशियन पाई, हींज यूलाऊ, टालकॉट पारसन्स आदि हैं।

  6. किस देश की राजनीतिक संस्कृति क्रान्ति का परिणाम है?

    उत्तर : फ्रांस की राजनीतिक संस्कृति क्रान्ति का परिणाम है।

  7. राजनीतिक संस्कृति को पर्यावरण किसने कहा है?

    उत्तर : राजनीतिक संस्कृति को पर्यावरण डेविड ईस्टन ने कहा है।

My name is Mahendra Kumar and I do teaching work. I am interested in studying and teaching competitive exams. My qualification is B.A., B.Ed., M.A. (Pol.Sc.), M.A. (Hindi).

Post a Comment