एकात्मक शासन प्रणाली : शासन का स्वरूप

इस आर्टिकल में एकात्मक शासन व्यवस्था से क्या तात्पर्य है, एकात्मक शासन व्यवस्था वाले देश, एकात्मक शासन प्रणाली की विशेषताएं, एकात्मक शासन प्रणाली के गुण-दोष, एकात्मक और संघात्मक शासन में अंतर आदि टॉपिक पर चर्चा की गई है।

एकात्मक शासन व्यवस्था से क्या तात्पर्य है

Unitary Governance Means in Hindi : एकात्मक शासन वह होता है जिसके अंतर्गत संविधान के द्वारा शासन की समस्त शक्ति केंद्रीय सरकार में निहित करा दी जाती है और स्थानीय सरकारों का अस्तित्व एवं शक्तियां केंद्रीय सरकार की इच्छा पर निर्भर करती है।

एकात्मक शासन में देश के लिए एक कार्यपालिका, एक व्यवस्थापिका और एक न्यायपालिका होती है। केंद्रीय सरकार समस्त देश की सरकार होती है और सभी विषयों में उसकी सता सर्वोच्च रहती है।

आजादी से पूर्व भारत का शासन भी एकात्मक था जिसकी केंद्रीय सरकार थी और भारत के प्रशासन के लिए उसे प्रांतों में बांटा गया था। (भारत सरकार अधिनियम 1935 के पूर्व) प्रांतों के कोई संवैधानिक अधिकार नहीं थे। भारत के प्रांत भारत के प्रशासनिक अंग मात्र थे और उनकी उतनी ही शक्तियां थी जितनी उन्हें केंद्र द्वारा प्रदत की जाती थी।

एकात्मक शासन की परिभाषा

Definition of Unitary Governance : डॉ फाइनर के अनुसार, “एकात्मक राज्य वह राज्य है जिसमें समस्त सत्ता एवं शक्ति एक केंद्र में निहित रहती है और जिनकी इच्छा एवं जिसके अधिकार समस्त क्षेत्र पर कानूनन सर्वशक्तिमान होते हैं।”

डायसी के अनुसार, “एक केंद्रीय शक्ति के द्वारा सर्वोच्च शक्ति का प्रयोग किया जाना ही एकात्मक शासन है।”

डायसी के अनुसार, “संक्षेप में एकात्मक का तात्पर्य एक ही दृष्टिकोण प्रभुसत्ता संपन्न शक्ति के हाथों में राज्य की शक्ति का केंद्रीयकरण है, वह शक्ति चाहे संसद हो या जार।”

विलोबी के अनुसार, “एकात्मक राज्यों में शासन के सब अधिकार मौलिक रूप से एक केंद्रीय सरकार के हाथ में रहते हैं। यह सरकार, इच्छानुसार जैसे वह उचित समझती है, उन शक्तियों का वितरण क्षेत्रीय इकाइयों में करती है।”

गार्नर के अनुसार, “एकात्मक शासन वह शासन है जिसमें शासन की सर्वोच्च सत्ता संविधान द्वारा केंद्र को प्रदान की जाती है और केंद्र से ही स्थानीय संस्थाएं शक्ति या स्वायत्तता प्राप्त करती है। यहां तक कि अपना अस्तित्व भी केवल उसी से प्राप्त करती है। तब उस देश में एकात्मक सरकार कहीं जाती है।”

हरमन फाइनर के अनुसार, “एकात्मक राज्य वह है जिसमें समस्त सत्ता एवं शक्ति एक ही केंद्र में निहित रहती है, जिसकी इच्छा और जिसके अभिकर्ता संपूर्ण क्षेत्र पर वैज्ञानिक रूप से सर्वशक्तिमान होते हैं।”

एकात्मक शासन (Unitary Governance) में शक्ति विभाजन नहीं होता। शासन की सुविधा के लिए देश को कुछ भागों में बांट दिया जाता है, परंतु ये प्रशासनिक इकाइयां संघात्मक शासन के प्रांतों के समान स्वतंत्र या स्वायत्तता संपन्न नहीं होती। ये केंद्रीय सरकार द्वारा निर्मित की जाती है और उसके पूर्णतया अधीन होती है।

उनकी सत्ता संविधान प्रदत्त अथवा मौलिक नहीं होती। उन्हें केवल वही शक्तियां प्राप्त होती हैं जो उन्हें केंद्रीय सरकार द्वारा हस्तांतरित की जाती है। केंद्र सरकार स्वविवेक से उनकी शक्तियों को घटा बढ़ा सकती है। एकात्मक शासन में संविधान द्वारा समस्त शक्ति केंद्र को दी जाती है परंतु केंद्रीय सरकार सुविधा की दृष्टि से कुछ शक्तियां घटक प्रांतों को सौंप देती है।

एकात्मक शासन व्यवस्था वाले देश

Countries With Unitary Governance : वर्तमान समय में इंग्लैंड (यूनाइटेड किंगडम), स्वीडन, जापान, बेल्जियम, नार्वे, होलेंड, डेनमार्क, इटली, फ्रांस आदि देशों में एकात्मक शासन प्रणाली को अपनाया गया है।

एकात्मक शासन व्यवस्था वाले देश
एकात्मक शासन व्यवस्था वाले देश

एकात्मक शासन प्रणाली की विशेषताएं

  • संविधान के द्वारा शक्तियों का विभाजन नहीं।
  • संविधान समस्त शक्तियां केंद्रीय सरकार को ही प्रदान करता है।
  • स्थानीय सरकारों का स्वरूप तथा शक्तियां केंद्रीय सरकार की इच्छा पर निर्भर करती है।
  • इस प्रणाली के अंतर्गत संपूर्ण राज्य में इकहरी नागरिकता की व्यवस्था होती है। यद्यपि इकहरी नागरिकता से तात्पर्य अनिवार्य रूप से एकात्मक शासन नहीं है। इकहरी नागरिकता होने का मतलब यह नहीं है कि उस देश में एकात्मक शासन ही हो।
  • एकात्मक शासन वाले देश का संविधान लिखित, अलिखित, लचीला या कठोर कैसा भी हो सकता है।
  • एकात्मक शासन में न्याय पद्धति का रूप उस प्रकार के निर्णायक का नहीं होता जैसा कि संघात्मक शासन में होता है। इसमें न्यायपालिका का कार्य यही देखना होता है कि व्यवस्थापिका द्वारा पारित कानून ठीक से कार्यान्वित हो रहे हैं या नहीं।
  • एकात्मक शासन में स्थानीय अधिकारी केंद्रीय शासन के अंग ही होते हैं। वे केंद्रीय शासन के प्रतिनिधि के रूप में ही कार्य करते हैं। सरकार का संपूर्ण क्षेत्र पर नियंत्रण होता है।
  • एकात्मक सरकार में कानूनों में एकरूपता पाई जाती है। इसके अंतर्गत केवल केंद्रीय सरकार के ही कानून होते हैं।
  • एकात्मक शासन व्यवस्था में समस्त देश में एक ही कार्यपालिका, व्यवस्थापिका और न्यायपालिका सभी कार्यों को देखभाल करती है।

एकात्मक शासन प्रणाली के गुण

• प्रशासनिक एकरूपता – इस शासन व्यवस्था में समस्त देश के लिए एक से कानून तथा नियम होते हैं। समान विधियों से शासित होने के कारण राष्ट्रीय एकता की स्थापना भी होती है।

• प्रशासनिक शक्ति संपन्नता – केंद्रीय शासन के हाथ में संपूर्ण शक्ति निहित होने के कारण केंद्रीय सरकार (Central Government) जनता के हित को दृष्टि में रखकर सभी विषयों के संबंध में ठीक प्रकार से और दृढ़ता के साथ कार्य कर सकती है।

• संकटकाल (Emergency) के लिए उपयुक्त – युद्ध, आर्थिक संकट और अन्य प्रकार की असाधारण परिस्थितियों में शीघ्रता पूर्वक निर्णय करने, उन्हें गुप्त रखने और शीघ्र ही उन्हें कार्य रूप में परिणत करने की आवश्यकता होती है, जो एकात्मक शासन अच्छे तरीके से कर सकता है। इसी बात को दृष्टि में रखकर भारतीय संविधान के अंतर्गत संकट काल के समय संघात्मक शासन को एकात्मक शासन में परिवर्तित करने की व्यवस्था की गई है।

• यह छोटे देशों के लिए बहुत ही उपयुक्त शासन व्यवस्था है। क्योंकि यह उनमें सब भेद समाप्त करके संगठन और एकता स्थापित कर देता है।

  • सरल एवं संघर्ष रहित शासन व्यवस्था
  • कुशल एवं दृढ़ शासन (Efficient and firm Governance)
  • कम खर्चीला शासन (मितव्ययिता)
  • लचीला शासन (Flexible Governance)
  • आर्थिक विकास की दृष्टि से उत्तम
  • सुदृढ़ विदेश नीति (Strong Foreign Policy)
  • राष्ट्रीय एकता (National Unity)
  • संगठन की सरलता।

एकात्मक शासन प्रणाली के दोष

• राजनीतिक चेतना जागृत करने में असमर्थ – एकात्मक शासन में जनता को शासन संबंधी विषयों में पहल करने का अवसर नहीं मिलता। जनता राजनीतिक मामलों में उदासीन हो जाती है। कानून वास्तविक जनमत को परिलक्षित नहीं कर पाते इस प्रकार की उदासीनता लोकतंत्र के लिए घातक सिद्ध होती है।

• विविधताओं वाले विशाल राज्यों के लिए अनुपयुक्त – छोटे राज्यों में एकात्मक शासन भले ही सफल हो जाए लेकिन बड़े क्षेत्र और अधिक जनसंख्या वाले राज्य में जहां पर भाषा, नस्ल, धर्म और संस्कृति की विशेषताएं हो, एकात्मक शासन के आधार पर कार्य किया ही नहीं जा सकता है। इस प्रकार की विविधताओं वाले विशाल राज्यों के लिए तो संघात्मक शासन पद्धति ही उपयुक्त होती है।

  • केंद्रीय सरकार के निरंकुश होने का भय
  • अक्षम और अकुशल शासन
  • स्थानीय संस्थाओं के कार्य में बाधा – एकात्मक शासन स्थानीय पहल को निरूत्साही करता है।
  • नौकरशाही का शासन (Bureaucratic rule)
  • लोकतंत्र विरोधी (Anti democracy)।

निष्कर्ष (Conclusion) :

उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट होता है कि एकात्मक शासन में शक्तियों का केंद्रीयकरण होता है। एकात्मक सरकार केवल छोटे देशों में ही सफलता पूर्वक शासन कर सकती है। एकात्मक शासन से राष्ट्रीयता का विकास तो हो सकता है, लेकिन शासन के निरंकुश बनाने का भय रहता है। आधुनिक युग में इसका प्रचलन विश्व के बहुत कम देशों में है।

एकात्मक और संघात्मक शासन में अंतर

Difference Between Unitary and Federal Governance : एकात्मक राज्य शक्तियों के केंद्रीकरण के सिद्धांत पर आधारित होता है और संघ राज्य शक्तियों के विकेंद्रीकरण के सिद्धांत पर है। राज्य और शासन व्यवस्था के दो रूपों में निम्नलिखित प्रकार से अंतर पाया जाता है –

(1) शक्तियों के विभाजन का अंतर : एकात्मक शासन में संविधान द्वारा शक्तियों का विभाजन नहीं किया जाता और संविधान द्वारा संपूर्ण शक्ति केंद्र सरकार प्रदान कर दी जाती है किंतु संघ राज्य में संविधान द्वारा ही केंद्रीय सरकार और इकाइयों की सरकारों के बीच शक्ति का विभाजन कर दिया जाता है।

(2) स्थानीय सरकारों की स्थिति में अंतर : एकात्मक शासन में प्रांतीय और स्थानीय सरकारें पूर्णतया केंद्रीय शासन के अधीन होती है, लेकिन संघ राज्य में प्रांतीय सरकारों को संविधान से शक्ति प्राप्त होती है और ये सरकारें केंद्र सरकार के अधीन नहीं वरन उसके समान होती है।

(3) नागरिकों की स्थिति में अंतर : एकात्मक शासन में इकहरी नागरिकता (Single citizenship) की व्यवस्था होती है और नागरिक केंद्रीय सरकार के ही प्रति भक्ति रखते हैं, लेकिन संघ राज्य में नागरिक केंद्रीय सरकार और प्रांतीय सरकार दोनों के प्रति भक्ति रखते हैं और दोहरी नागरिकता (Dual citizenship) की व्यवस्था होती है।

(4) संविधान के रूप में अंतर : एकात्मक राज्य का संविधान (Constitution) लिखित, अलिखित, कठोर या लचीला किसी भी प्रकार का हो सकता है। लेकिन संघ राज्य एक ऐसे लिखित समझौते का परिणाम होता है, जिसे कोई एक पक्ष अकेला न बदल सके। इसलिए संघ राज्य का विधान आवश्यक रूप से लिखित और कठोर होता है।

(5) प्रशासकीय अंगों की शक्ति में अंतर : सभी एकात्मक राज्यों में व्यवस्थापिका संप्रभु (सर्वोच्च) होती है और न्यायपालिका का कार्य तो व्यवस्थापिका द्वारा निर्मित कानूनों के आधार पर न्याय प्रदान करना होता है, किंतु संघ राज्य में संविधान सर्वोच्च होता है, इसलिए संविधान की व्याख्या और रक्षा करने वाली न्यायपालिका व्यवस्थापिका से अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। व्यवस्थापिका द्वारा निर्मित कानून संविधान के प्रतिकूल होने पर न्यायपालिका उन्हें अवैध घोषित कर सकती है।

(6) एकात्मक शासन में केंद्रीय सरकार के स्वेच्छाचारी होने का भय रहता है जबकि संघात्मक शासन में भर नहीं रहता।

(7) एकात्मक शासन (Unitary Governance) छोटे देशों के लिए उपयुक्त होता है जबकि संघात्मक शासन बड़े देशों के लिए उपयुक्त होता है।

(8) एकात्मक राज्य में शासन तंत्र इकहरा होता है जबकि संघात्मक शासन में शासन तंत्र दोहरा होता है। एक केंद्र और दूसरा राज्य का शासन। इनकी अलग-अलग कार्यपालिका (Executive) और विधायिका (Legislature) होती है।

(9) एकात्मक राज्य (Unitary State) में एक ही प्रकार के कानून होते हैं जबकि संघ शासन (Union government) में दो प्रकार के कानून होते हैं। केंद्र सरकार के कानून और राज्य सरकार के कानून।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  1. किस प्रकार बेल्जियम की सरकार एकात्मक शासन प्रणाली से संघात्मक शासन में बदली?

    उत्तर : मूल रूप से बेल्जियम में पहले स्थानीय सरकारें हुआ करती थी। इन स्थानीय सरकारों के पास अपनी शक्ति तथा भूमिका होती थी। परंतु केंद्र सरकार के पास इन शक्तियों को वापस लेने का अधिकार था। 1993 में संविधान में एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन किया गया तथा स्थानीय सरकारों को संवैधानिक शक्तियाँ दी गईं। अब स्थानीय सरकारें केंद्र सरकार पर निर्भर नहीं रहीं। इस प्रकार बेल्जियम एकात्मक प्रकार की सरकार से संघात्मक सरकार में परिवर्तित हो गया।

  2. एकात्मक शासन किन-किन देशों में पाया जाता है?

    उत्तर : वर्तमान समय में इंग्लैंड (यूनाइटेड किंगडम), स्वीडन, जापान, बेल्जियम, नार्वे, होलेंड, डेनमार्क, इटली, फ्रांस आदि देशों में एकात्मक शासन प्रणाली को अपनाया गया है।

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