अमेरिका में द्वि दलीय व्यवस्था के अंतर्गत रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक पार्टी है जिनके मध्य चुनाव होते हैं। अतः वहां त्रिशंकु सरकार बनने की संभावना नहीं रहती है। राष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया को जानने से पहले हम जानेंगे कि राष्ट्रपति बनने के लिए उसकी योग्यताएं क्या है ?
अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए योग्यताएं
अमेरिका के राष्ट्रपति की योग्यताएं संबंधी प्रस्ताव संविधान के अनुच्छेद 2 की उप धारा 1 में दिया गया है। जिसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति पद के लिए वही व्यक्ति पात्र होगा जो -
- संयुक्त राज्य अमेरिका का जन्मजात नागरिक हो
- उसकी आयु 35 वर्ष से कम में हो
- वह संयुक्त राज्य अमेरिका में कम से कम 14 वर्ष का निवासी रहा हो।
अमेरिका के राष्ट्रपति का कार्यकाल
अमेरिका का राष्ट्रपति 4 साल के कार्यकाल के नियुक्त होता है। वह 4 साल का दो कार्यकाल निर्वाह कर सकता है। अगर वह उपराष्ट्रपति के पद से राष्ट्रपति बनता है तो अधिकतम 10 वर्षों का कार्यकाल उसे प्राप्त होगा। 22 वें संविधान संशोधन के तहत यह तय कर दिया गया है कि एक ही व्यक्ति तीसरी बार राष्ट्रपति नहीं चुना जा सकता। लेकिन इसमें एक अपवाद युद्ध के समय का है जिसमें कांग्रेस विशेष परिस्थितियों में मौका दे सकती है।
अमेरिका के राष्ट्रपति की निर्वाचन प्रक्रिया
अमेरिका के राष्ट्रपति की निर्वाचन प्रक्रिया प्रमुख रूप से पांच चरणों में संपन्न की जाती है।
(1) उम्मीदवारों का मनोनयन (प्राइमरी चुनाव)
प्रत्येक दल की राष्ट्रीय समिति अपने-अपने दल के सम्मेलन के लिए समय और स्थान का निर्णय करती है और प्रारंभिक व्यवस्था करती है।
प्रत्येक दल के राष्ट्रीय सम्मेलन के लिए प्रतिनिधि विभिन्न उपायों के द्वारा चुने जाते हैं। कुछ प्रारंभिक क्षेत्रों से, कुछ राज्य सम्मेलनों से और कुछ केंद्रीय समिति के द्वारा। इनकी संख्या 1500 के मध्य रहती है। चुनाव वर्ष के जुलाई या अगस्त के महीने में एक बड़े हॉल में यह सम्मेलन होता है। सम्मेलन में नियमित प्रतिनिधियों के अतिरिक्त कुछ वैकल्पिक प्रतिनिधि भी होते हैं जो नियमित प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति में मतदान में भाग लेते हैं। पूर्ण बहुमत प्राप्त करने वाला व्यक्ति दल का उम्मीदवार बनता है।
प्राइमरी चुनाव (Primary Election) - प्राइमरी चुनाव के बारे में अमेरिकी संविधान में कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है। यह चुनाव प्रथम चरण में जनवरी में होते हैं। यहीं से चुनाव प्रक्रिया शुरू होती है। प्राइमरी चुनाव की प्रक्रिया राष्ट्रपति चुनाव से 2 वर्ष पहले ही शुरू हो जाती है। प्राइमरी चुनाव से विभिन्न राज्यों में पार्टियों के प्रबल उम्मीदवारों का चयन किया जाता है। इसके अलावा उम्मीदवार चयन हेतु कॉकश की प्रक्रिया भी अपनाई जाती है।
कॉकश प्रक्रिया वहां अपनाई जाती है जहां पार्टी का दबदबा हो। कॉकश में चुनाव प्रत्यक्ष रूप से (बिना मतपत्रों के) संपन्न होते हैं, परंतु प्राइमरी में परोक्ष रूप से मतपत्रों के द्वारा संपन्न होते हैं। कॉकश की बजाय प्राइमरी चुनाव ज्यादा लोकप्रिय हैं।
इस प्रक्रिया द्वारा 538 उम्मीदवारों का चयन किया जाता है जो इलेक्टोरल कॉलेज कहलाता है। यही Electoral college राष्ट्रपति पद के लिए मतदान करता है।
राष्ट्रीय सम्मेलन ( National Convention) : प्राइमरी चुनाव सम्पन्न होने के बाद चुने हुए उम्मीदवार इस दूसरे चरण के नेशनल कन्वेंशन में भाग लेते हैं और राष्ट्रपति के पद हेतु उम्मीदवार का चयन करते हैं। राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ही उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को चुनते हैं। कोई भी निर्वाचक दोनों पदों के लिए एक ही राज्य के उम्मीदवार को वोट नहीं दे सकता।
1804 से पहले उपराष्ट्रपति के लिए चुनाव तो यही निर्वाचक मंडल करता था परंतु अलग-अलग वोट नहीं डाले जाते थे। सबसे ज्यादा वोट प्राप्त करने वाला राष्ट्रपति तथा दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा वोट प्राप्त करने वाला उपराष्ट्रपति बनता था।
(2) चुनाव अभियान (Election Campaign)
सम्मेलन समाप्त होने के बाद चुनाव अभियान की प्रक्रिया का आरंभ होता है। इसमें मुख्यत: टेलीविजन, रेडियो, ट्रेन, समाचार पत्र और अपने उम्मीदवार के पक्ष में विविध प्रकार के साहित्य का प्रकाशन शामिल है।
(3) निर्वाचक मंडल का चुनाव (Electoral College)
दोनों दलों द्वारा निर्वाचक मंडल के लिए अपने उम्मीदवार खड़े किए जाते हैं। निर्वाचक मंडल के उम्मीदवारों को शपथ लेनी होती है कि चुने जाने पर वे राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में अपने ही दल के उम्मीदवारों को मत देंगे।
राज्य में निर्वाचक मंडल के सदस्यों का चुनाव सूची प्रणाली के आधार पर होता है। इसका तात्पर्य यह है कि मत किसी उम्मीदवार के लिए नहीं बल्कि दल की सूची के पक्ष में डाले जाते हैं। यह संविधान में स्पष्ट किया गया है कि कांग्रेस का कोई सदस्य या संयुक्त राज्य अमेरिका में लाभ के पद पर आसीन कोई व्यक्ति निर्वाचक मंडल का सदस्य नहीं बन सकता है। निर्वाचक मंडल का कार्य राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति चुनने के अतिरिक्त और कुछ नहीं है।
मतदान के एक दिन पूर्व राष्ट्रपति के पद के उम्मीदवार मतदाताओं से रेडियो तथा टेलीविजन पर अंतिम अपील करते हैं। निर्वाचक मंडल के सदस्यों का चुनाव व्यक्तिगत न होकर सामूहिक होता है, इसका अभिप्राय है कि जिस दल को किसी राज्य में मतदाताओं का बहुमत प्राप्त हो जाता है, उसी दल के सभी उम्मीदवार राष्ट्रपति के निर्वाचन मंडल के सदस्य चुने जाते हैं।
उदाहरण के लिए यदि न्यूयॉर्क राज्य में रिपब्लिकन निर्वाचन सूची को 5000000 मत मिलते हैं और डेमोक्रेटिक निर्वाचन सूची को 5000050 मत तो न्यूयॉर्क राज्य से निर्वाचन मंडल के सभी 43 सदस्य डेमोक्रेटिक दल से चुन लिए जाएंगे। राष्ट्रपति का जो उम्मीदवार 538 निर्वाचकों में से 270 स्थान प्राप्त कर लेता है, उसे राष्ट्रपति बनने का विश्वास हो जाता है।
(4) निर्वाचक मंडल द्वारा राष्ट्रपति का चुनाव
Election of President by Electoral College
दिसंबर माह के दूसरे बुधवार को निर्वाचक मंडल के सदस्य अपने-अपने राज्यों की राजधानियों में एकत्रित होते हैं और राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति पद के लिए विभिन्न उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान करते हैं। मतों की गणना की जाती है और प्रमाणीकृत करने के बाद सीनेट के अध्यक्ष के पास भेज दिया जाता है।
सीनेट का अध्यक्ष कांग्रेस के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में मतों की गणना करता है और कानूनी तौर पर जीतने वाले व्यक्ति की घोषणा करता है। इस चरण के चुनावों में प्रत्यक्ष रूप से जनता की कोई भागीदारी नहीं रह जाती।
(5) राष्ट्रपति द्वारा पद ग्रहण (Assumed office by the President)
20 वें संविधान संशोधन (1933) के अनुसार राष्ट्रपति 4 मार्च के बजाय 20 जनवरी को अपना पद ग्रहण करता है।
राष्ट्रपति की पदच्युति (President's Dismissal)
अमेरिकी संविधान के अनुच्छेद 2 की उप धारा 4 के अनुसार राष्ट्रपति को केवल महाभियोग के आधार पर ही पदच्युत किया जा सकता है और वह केवल देशद्रोह, भ्रष्टाचार या अन्य किसी घोर अपराध के आधार पर चलाया जा सकता है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत प्रतिनिधि सभा का कोई एक या कुछ सदस्य राष्ट्रपति के विरुद्ध उपर्युक्त आधार पर आरोप लगा सकते हैं।
इसके बाद यह आरोप किसी न्यायिक समिति या विशेष जांच समिति को दे दिए जाते हैं। जांच समिति द्वारा प्रतिवेदन दिए जाने पर यदि प्रतिनिधि सभा आवश्यक समझे तो वह एक प्रस्ताव तैयार करती है, जिसमें राष्ट्रपति पर लगाए गए आरोपों का उल्लेख किया जाता है और प्रतिनिधि सभा को यह प्रस्ताव अपने बहुमत से पारित करना होता है। इस आरोप पत्र की एक प्रति सूचनार्थ राष्ट्रपति को भेजी जाती है।
इस प्रक्रिया के उपरांत प्रस्ताव को सीनेट को भेज दिया जाता था है। सीनेट इन आरोपों की जांच हेतु एक न्यायालय के रूप में कार्य करती है।
सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश इस बैठक की अध्यक्षता करता है। राष्ट्रपति अपने बचाव के लिए स्वयं उपस्थित हो सकता है या फिर वकील की सहायता ले सकता है। छानबीन के बाद यदि सीनेट दो तिहाई बहुमत से महाभियोग प्रस्ताव को पारित कर दे तो राष्ट्रपति को पद से हटा दिया जाएगा।
👉अमेरिका के राष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया के संबंध में डॉ ए के वर्मा का वीडियो 👇