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ब्रिटिश संविधान की प्रमुख विशेषताएं | ब्रिटिश संसदीय प्रणाली की विशेषताएं

इस आर्टिकल में ब्रिटिश संविधान की प्रमुख विशेषताओं, ब्रिटिश संसदीय प्रणाली की विशेषताएं, इंग्लैंड के संविधान की विशेषताएं के बारे में से चर्चा की गई है।

ब्रिटिश संसदीय प्रणाली की प्रमुख विशेषताएं

ब्रिटेन को संसदीय शासन की जननी कहा जाता है। यहां से ही दुनिया के अन्य देशों में संसदीय व्यवस्था का सूत्रपात हुआ। नागरिक अधिकार, स्वतंत्रता, विशेषाधिकारों का अंत का सूत्रपात यही से होता दिखाई पड़ता है। ब्रिटेन के संविधान में कुछ तत्व है जिसके कारण इसका अध्ययन महत्वपूर्ण हो जाता है।

ब्रिटिश संविधान की प्रमुख विशेषताएं निम्न है –

  1. प्राचीनतम संविधान
  2. वास्तविक लोकतंत्र का जनक
  3. एकमात्र अलिखित संविधान
  4. विकसित संविधान
  5. स्वतंत्रता का प्रतीक
  6. आधुनिक शासन व्यवस्था पर प्रभाव
  7. लचीला संविधान
  8. सिद्धांत एवं व्यवहार का अंतर
  9. संसद की सर्वोच्चता
  10. एकात्मक शासन
  11. विधि का शासन
  12. नागरिक स्वतंत्रता पर बल
  13. प्रजातंत्र एवं राजतंत्र का समन्वय
  14. द्विसदनीय व्यवस्था

(1) प्राचीनतम संविधान (Oldest Constitution)

यह विश्व का प्राचीनतम सविधान है। विश्व के किसी भी संविधान का इतना लंबा इतिहास नहीं रहा है। यह विश्व में अपनी तरह का पहला संविधान था जो 1400 वर्षों से अधिक समय में अपने वर्तमान स्वरूप को प्राप्त कर सका। इस संविधान का महत्व इस बात से और बढ़ जाता है कि इसने न केवल प्रजातंत्र का सूत्रपात किया वरन संपूर्ण विश्व व्यवस्था को भी प्रभावित किया।

(2) वास्तविक लोकतंत्र का जनक (Father of Real Democracy)

ब्रिटेन के संविधान के द्वारा सर्वप्रथम लोकतंत्र का अंकुरण हुआ। इसे आधुनिक विश्व का प्रथम लोकतांत्रिक संविधान कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। निरंकुश राजतंत् (Autocratic Monarchy) से सक्षम लोकतंत्र (Competent Democracy ) की यात्रा उतार-चढ़ाव भरी रही।

यह सत्य है कि ब्रिटेन से पहले यूनान में लोकतंत्र प्रचलित था, परंतु उस व्यवस्था और ब्रिटेन एवं आज के विशाल राज्यों के लोकतंत्र में बड़ा अंतर है। विशाल राज्यों में अप्रत्यक्ष लोकतंत्र को अपनाने का पहला सफल प्रयास ब्रिटेन में ही हुआ। विश्व के अन्य देशों में लोकतंत्र को यही से ग्रहण किया।

मुनरो के शब्दों में, “18 वीं एवं 19 वीं शताब्दियों में सभ्य संसार के एक बड़े भाग को लोकतांत्रिक अधिकांशत: अंग्रेज भाषा-भाषी जातियों के नेतृत्व में हुआ।”

(3) एकमात्र अलिखित संविधान

यह आधुनिक समय में और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि यह दुनिया का एकमात्र लिखित सविधान है। ब्रिटेन के मौलिक सिद्धांत लिखित न होने के बावजूद यहां न तो अराजकता है और ना ही निरंकुशता। यहां पर पूर्णतया नागरिक स्वतंत्रता की बहाली है। इसका मुख्य कारण यहां के नागरिकों की जागरुकता, परंपरावादी होना है। वे कर्तव्यपरायण नागरिक हैं और स्वानुशासन पर भरोसा रखते हैं। कतिपय यही कारण है कि सभी सिद्धांतों का लिखित उल्लेख न होने के बावजूद वहां पर संपूर्ण व्यवस्था दिखाई पड़ रही है।

(4) विकसित संविधान (Developed Constitution)

ब्रिटिश संविधान लंबे विकास यात्रा का परिणाम है। इसे किसी संविधान सभा ने तैयार नहीं किया है। यहां लंबे विकास यात्रा का फल है। इसके विकास में सैकड़ों वर्षों का समय लगा। समय, हालात, निरंकुश राजतंत्र की चुनौतियों से होता हुआ अपने वर्तमान स्वरूप को प्राप्त हुआ है। यहां पर किसी प्रकार की क्रांति, रक्तपात हुए बिना ही शांतिपूर्ण परिवर्तन से राजतंत्र का स्थान लोकतंत्र ने लिया।

(5) स्वतंत्रता का प्रतीक (Symbol of Freedom)

ब्रिटिश संविधान की विशेषता है कि इसमें मानव स्वतंत्रता पर अत्यधिक बल है। यद्यपि उनके संविधान में किसी प्रकार के अधिकारों की घोषणा नहीं है वरन आधुनिक विश्व में किसी भी देश के नागरिकों से कम स्वतंत्रता का उपयोग भी नहीं करते हैं। वे प्रारंभ से ही निरंकुश राजतंत्र के विरुद्ध मानव स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहे थे और उसमें उन्हें सफलता मिली। कतिपय यही कारण है कि वे अपने सामान्य जीवन प्रशासन एवं अन्य कार्यों में नागरिक स्वतंत्रता को सबसे ऊपर रखते हैं।

(6) आधुनिक शासन व्यवस्था पर प्रभाव

यह संविधान सबसे प्राचीन एवं प्रभावशाली है। इसने इंग्लैंड ही नहीं संपूर्ण विश्व को प्रभावित किया। संसदीय शासन का जो सूत्रपात यहां से हुआ वह दुनिया में कोने कोने तक फैला। आज शासन प्रणाली के रूप में संसदीय शासन प्रणाली सर्वाधिक लोकप्रिय है।

दुनिया में 100 से अधिक देशों ने शासन प्रणाली के रूप में ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली को अपनाया है। आज दुनिया का शायद ही कोई देश हो जो कहीं ना कहीं से ब्रिटेन की शासन व्यवस्था, नागरिकों के अनुशासन, नागरिक स्वतंत्रता से प्रभावित न हो।

मुनरो के शब्दों में, “ब्रिटिश संविधान, संविधान का जनक है। ब्रिटिश संसद सांसदों की जननी है। अन्य देशों के विधानमंडल को कोई भी संज्ञा दी जाए उसका उद्गम स्थल एक ही है।”

(7) लचीला संविधान (Flexible Constitution)

ब्रिटेन का संविधान एक लचीला संविधान है। यहां पर संसद सामान्य बहुमत से यहां के संविधान में कोई भी परिवर्तन कर सकती है।

एन्सन के शब्दों में, “हमारी पार्लियामेंट जंगली चिड़ियों एवं मछली की रक्षा के लिए कानून बना सकती है या लाखों लोगों को राजनीतिक शक्ति प्रदान कर सकती है।”

सैद्धांतिक दृष्टि से कानून लचीला है परंतु व्यवहार में नागरिकों की रूढ़िवादिता, परंपराओं ने संविधान में परिवर्तन का कार्य जटिल बना दिया है।

अब वहां यह परंपरा बन गई है कि संविधान में बड़ा परिवर्तन तब तक न किया जाए जब तक आम चुनाव में उस पर जनमत न ले लिया जाए। 1911 में लार्ड सभा (Lord’s House) की शक्तियां में कटौती 1910 के चुनावों में जनता की राय जानने के बाद की गई थी।

(8) सिद्धांत एवं व्यवहार का अंतर

ब्रिटेन के संविधान की यह विशेषता है कि वहां सिद्धांत एवं व्यवहार में व्यापक अंतर पाया जाता है। उसके सिद्धांत एवं व्यवहार के अंतर को हम निम्न प्रकार देख सकते है –

  • सैद्धांतिक रूप से आज भी वहां राजतंत्र है किंतु व्यवहार में वास्तविक लोकतंत्र है।
  • सिद्धांत में संसद कैबिनेट पर नियंत्रण रखती है परंतु व्यवहार में कैबिनेट ही संसद को नियंत्रित करती है।
  • सिद्धांत में व्यवस्थापिका, कार्यपालिका अलग उद्देश्य के लिए है। परंतु व्यवहार में कार्यपालिका का जन्म व्यवस्थापिका से हुआ है और वह घनिष्ठता से जुड़ी हुई है।

(9) संसद की सर्वोच्चता (Supremacy of Parliament)

ब्रिटेन में संसदीय सर्वोच्चता है। वहां संसद का स्थान सबसे ऊपर है। वह एकमात्र कानूनी निर्मात्री संस्था है। वह साधारण बहुमत से ही किसी कानून को परिवर्तित कर सकती है। उसके द्वारा निर्मित कानून को कहीं भी चुनौती नहीं दी जा सकती। वहां पर भारत एवं अमेरिका की तरह न्यायिक पुनरावलोकन (Judicial Review) की व्यवस्था नहीं है।

यही कारण है कि डी लोमे लिखते है की, “संसद स्त्री को पुरुष और पुरुष को स्त्री बनाने के अतिरिक्त सब कुछ कर सकती है।”

संसद की सर्वोच्च स्थिति को व्यवहार में लोकमत, परंपराओं से मर्यादित होना होता है। अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय कानून भी उसे मर्यादित करता है।

(10) एकात्मक शासन (Unitary Governence)

ब्रिटेन में विशालता एवं विविधता का अभाव है यही कारण है कि यहां पर एकात्मक शासन को अपनाया गया है। शासन की समस्त शक्ति केंद्रीय सरकार को प्राप्त है। प्रशासन की सुविधा के लिए प्रशासनिक इकाइयों (Administrative Units) का गठन किया गया है परंतु उन्हें शक्तियां केंद्रीय सरकार से ही प्राप्त है। प्रशासनिक इकाइयां संविधान से शक्तियां प्राप्त नहीं करती है।

(11) विधि का शासन (Rule of Law)

विधि का शासन इंग्लैंड के संविधान (British Constitution) की प्रमुख विशेषता है कि जिसका आश्य है की शासन व्यक्ति की इच्छा से नहीं वरन कानून से चलता है। ब्रिटेन में सभी लोग एक ही कानून, न्यायालय के अधीन हैं। उनके पद प्रमाण से वह कानून से मुक्त नहीं है। यह व्यवस्था फ्रांस से अलग है जहां सरकारी कर्मचारियों के लिए प्रशासकीय कानूनों का उल्लेख मिलता है।

(12) नागरिक स्वतंत्रता पर बल (Emphasis on Civil Liberties)

ब्रिटेन में नागरिक स्वतंत्रता पर अत्यधिक बल है। यद्यपि वहां पर अधिकारों के पत्र का अभाव है परंतु नागरिक किसी भी देश की तुलना में अधिक स्वतंत्र हैं। उन्हें संसदीय अधिनियम से कुछ बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus), शस्त्र धारण करने का अधिकार, अमानुषिक दंड से बचने का अधिकार प्रदान किए गए हैं।

(13) प्रजातंत्र एवं राजतंत्र का समन्वय

ब्रिटेन में संविधान का विकास हुआ। निरंकुश राजतंत्र से संसदीय लोकतंत्र की स्थापना की गई। इसके बावजूद भी वहां पर राजतंत्र का अस्तित्व आज भी बना हुआ है। आज भी राज्य का सर्वोच्च पदाधिकारी राजा है जो वंशानुगत रूप से पद धारण करता है। इसके साथ ही लार्ड सभा में आज भी वंशानुगत पियरो की एवं कुलीन वर्ग के प्रतिनिधित्व की वंशानुगत व्यवस्था है।

(14) द्विसदनीय व्यवस्था (Bicameral System)

ब्रिटेन में व्यवहार में द्विसदनीय व्यवस्था है। यद्यपि संविधान के द्वारा दलों के अस्तित्व पर रोक नहीं है परंतु वहां पर दो दलों की व्यवस्था लंबे समय से चली आ रही है। प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति तक वहां पर उदार दल एवं अनुदार दल प्रमुख थे। प्रथम विश्व युद्ध के बाद अनुदार दल एवं मजदूर दल राजनीतिक परिदृश्य पर छा गए।

व्यवहार में द्विदलीय व्यवस्था के कारण वहां संसदीय लोकतंत्र (Parliamentary Democracy) सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है। वहां पर भारत, फ्रांस की तरह मत विभाजन के कारण स्पष्ट बहुमत के अभाव में अस्थितर सरकारों का अस्तित्व नहीं हो पा रहा है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  1. ब्रिटिश संसद स्त्री को पुरुष तथा पुरुष को स्त्री बनाने के अतिरिक्त सबकुछ कर सकती है। यह कथन किसका है?

    उत्तर : ब्रिटेन में संसद की सर्वोच्चता के संदर्भ में उक्त कथन डी लोमे ने कहा था।

  2. ब्रिटिश संविधान की मुख्य विशेषताएं क्या है?

    उत्तर : ब्रिटिश संविधान की प्रमुख विशेषताएं संसद की सर्वोच्चता, एकात्मक शासन, विधि का शासन, नागरिक स्वतंत्रता पर बल, प्रजातंत्र एवं राजतंत्र का समन्वय, द्विसदनीय व्यवस्था आदि है।

  3. ब्रिटेन में संसद की सर्वोच्चता से क्या अभिप्राय है?

    उत्तर : ब्रिटेन में संसदीय सर्वोच्चता है। वहां संसद का स्थान सबसे ऊपर है। वह एकमात्र कानूनी निर्मात्री संस्था है। वह साधारण बहुमत से ही किसी कानून को परिवर्तित कर सकती है। उसके द्वारा निर्मित कानून को कहीं भी चुनौती नहीं दी जा सकती। वहां पर भारत एवं अमेरिका की तरह न्यायिक पुनरावलोकन (Judicial Review) की व्यवस्था नहीं है।

My name is Mahendra Kumar and I do teaching work. I am interested in studying and teaching competitive exams. My qualification is B.A., B.Ed., M.A. (Pol.Sc.), M.A. (Hindi).

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